जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के बाद भी उनकी मुश्किलें पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें नीतीश सरकार द्वारा जेल नियमों में किए गए बदलाव के फैसलो को चुनौती दी गई है। नियम बदलने के बाद ही आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हुआ। बीते सोमवार को राज्य सरकार की ओर से आनंद मोहन समेत 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश जारी किया था। इसके बाद गुरुवार सुबह आनंद मोहन सहरसा जेल से छूट गए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पटना हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में बिहार सरकार द्वारा जेल नियमावली, 2012 में किए गए संशोधन को रद्द करने की मांग की गई है। इस संशोधन के जरिए सरकार ने नियमावली में ड्यूटी पर तैनात लोकसेवक की हत्या की बात को हटा दिया था। पहले यह नियम था कि अगर किसी सरकारी सेवक की ड्यूटी के दौरान हत्या होती है तो दोषी को ताऊम्र जेल में रहना पड़ेगा। हाल ही में नीतीश सरकार ने इस नियम को बदल दिया। अब सरकारी सेवक को भी हत्या को भी सामान्य हत्या की तरह माना गया है। यानी कि दोषी को उम्रकैद होने पर 14 साल के बाद रिहा किया जा सकता है।
हाईकोर्ट में यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता अमर ज्योति के द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि है कि सरकार का यह फैसला कानून व्यवस्था पर गलत प्रभाव डालेगा। इससे ड्यूटी तैनात कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा। सरकार के इस फैसले को तुरंत रद्द किया जाए। पटना हाईकोर्ट इस याचिका पर जल्द ही सुनवाई कर सकता है।
16 साल बाद जेल से रिहा हुए आनंद मोहन
शिवहर से पूर्व सांसद आनंद मोहन पर 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या का आरोप लगा था। 2007 में पटना हाईकोर्ट ने आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, 2008 में उनकी सजा को हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया था। पिछले दिनों नीतीश सरकार ने कारा नियमों में बदलाव कर आनंद मोहन की रिहाई के आदेश जारी किए। गुरुवार सुबह आनंद मोहन करीब 16 साल बाद जेल से रिहा हो गए। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इसके लिए आभार भी जताया।