भारत
गंगा नदी में बहते शवों को हटाने के लिए केंद्र समेत राज्यों को निर्देश देने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
Deepa Sahu
2 Jun 2021 11:22 AM GMT
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गंगा नदी में बहते शवों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
गंगा नदी में बहते शवों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में केंद्र, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत चार राज्यों को गंगा नदी में बहते मिले शवों को हटाने के लिए फौरन कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में बहते पाए गए शवों की खबरों का हवाला दिया गया है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कोरोना वायरस के मृतकों का उचित तथा सम्मानित तरीके से अंतिम संस्कार करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तय करने के दिशा निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया गया है।
'यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया' की ओर से दायर की गई याचिका में मुख्य सचिवों एवं जिला मजिस्ट्रेटों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि किसी भी नदी में शव फेंकने नहीं दिया जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। वकील मंजू जेटली के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, ''मृतकों के अधिकारों की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है, जिसमें सम्मानित तरीके से अंतिम संस्कार करने का अधिकार भी शामिल है।'
नदी में शवों के बहने से पर्यावरण को नुकसान
इसमें कहा गया है कि गंगा नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड है और यह उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की ओर बहती है । नदी में शवों के बहने से पर्यावरण को नुकसान होगा और साथ ही यह स्वच्छ गंगा के राष्ट्रीय अभियान के दिशा निर्देशों का उल्लंघन भी है। प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया जाए कि गंगा तथा अन्य नदियों से शवों को हटाया जाए। संबंधित प्राधिकारियों को हर जिले में चौबीसों घंटे के लिए एक टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर तय करने के निर्देश दिया जाए ताकि परिवार के सदस्यों के अनुरोध पर मृतकों को शवदाहगृह ले जाया जा सके।
मृतकों का सम्मान के साथ हो अंतिम संस्कार
याचिका में शवों के निपटारे समेत अन्य मुद्दों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की पिछले महीने जारी सिफारिशों का पालन करने के केंद्र तथा अन्यों को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। इसमें उच्चतम न्यायालय के पहले दिए आदेशों का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि किसी मृत व्यक्ति की प्रतिष्ठा बनाई रखी जाए और उसका सम्मान किया जाए।
''प्राकृतिक और अप्राकृतिक मौत के मामलों जैसे कि आत्महत्या, दुर्घटना, हत्या आदि में मृतकों के अधिकारों की रक्षा करना और शवों के साथ अपराध होने से रोकना राज्य का कर्तव्य है।''याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिकारी जनता को शिक्षित करने के लिए प्रयास करने तथा अधजले या बिना जले शवों को गंगा नदी में बहाने से रोकने में नाकाम रहे।
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