जान बचाने सीढ़ियों को जोड़कर और रस्सियों से उतरे लोग, Mundka अग्निकांड से सहम गए हर कोई
Mundka Fire: दिल्ली के मुंडका में एक इमारत में शुक्रवार शाम करीब 4 बजे तक हालात सामान्य थे. तपती दोपहरी किसी तरह कट रही थी. लोग अपने-अपने काम में मशगूल थे. शाम होने वाली थी. लेकिन शुक्रवार की गोधूलि बेला में क्या कहर बरपाएगी ये कोई नहीं जानता था. करीब 04.45 बजे अचानक से आग धधक उठी. लोग तड़प उठे. चीख पुकार मचने लगी. फैक्ट्री में काम कर रहे लोग जान बचाने के लिए यहां-वहां भागने लगे. किसी ने फायर ब्रिगेड को फोन किया तो कोई पुलिस को कॉल कर रहा था. आग की लपटें बढ़ती जा रही थीं. जिंदगी बचाने की जुगत जारी थी.
इमारत में फंसे लोगों ने खिड़कियों से बाहर झांककर देखा तो न कई क्रेन थी न दूसरा कोई सहारा. ऐसे में लोगों ने जान बचाने के लिए जो उपाय बन पड़े वो किए. लिहाजा सीढ़ियों और रस्सियों का सहारा लिया गया.
कोशिश यही थी कि किसी तरह से बस जान बच जाए. आनन-फानन में दो-तीन सीढ़ियों को बांधकर रास्ता तैयार किया गया. तो खिड़कियों से रस्सी बांध उतरने की कोशिश भी की गई. लेकिन इसके बाद भी लोग सुरक्षित नहीं बच सके. बताया जा रहा है कि सेल्फ रेस्क्यू के दौरान लोग कई फुट की ऊंचाई से गिर गए. इसके चलते उन्हें गंभीर चोटें आई हैं. बता दें कि घायलों को संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से 12 लोगों को डिस्चार्ज कर दिया गया है. इस हादसे में 27 लोगों की मौत हो गई है जबकि 19 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं.
बताया जा रहा है कि आग पहली मंजिल से फैलने के बाद दूसरी और फिर तीसरी मंजिल तक पहुंची. वहीं दमकल के अधिकारियों का कहना था कि आग से ज्यादा धुएं की वजह से लोगों को मुश्किल हो रही है. अभी वहां पर स्थिति काफी खराब है. धुआं काफी ज्यादा हो गया है, लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है.
संजय गांधी अस्पताल पहुंचे एसडीएम पटेल नगर जितेंद्र कुमार ने बताया कि डेड बॉडी इतनी बुरी तरह से जल चुकी हैं कि पहचान करना मुश्किल हो रहा है. यहां कई डेड बॉडी हमने देखी हैं. हमने पहचान करने के लिए फोरेंसिक की टीम बुलाई है, उसी से डेड बॉडी की शिनाख्त हो पाएगी.