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लोग एक या दो दिन मांस खाने से बच सकते हैं, हाई कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा? जानें
jantaserishta.com
31 Aug 2022 9:43 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: गुजरात हाई कोर्ट ने त्योहारों पर बूचड़खाना बंद करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर कहा है कि 'लोग एक या दो दिन मांस खाने से बच सकते हैं'. अहमदाबाद नगर निगम ने जैन त्योहार 'पर्युषण' के मौके पर शहर के एकमात्र बूचड़खाने को बंद करने का फैसला किया था. इसी के खिलाफ बीते सोमवार 29 अगस्त को गुजरात की कुल हिंद जमीयत-अल कुरेश एक्शन कमेटी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. कमेटी ने तर्क दिया कि यह नगर निगम का ये आदेश लोगों के भोजन के अधिकार को "रोक" देता है.
बता दें कि अहमदाबाद नगर निगम (AMC) ने पहले 24 से 31 अगस्त तक और फिर 5 से 9 सितंबर के बीच त्योहारों के लिए शहर के एकमात्र बूचड़खाने को बंद करने का फैसला किया है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संदीप भट्ट ने टिप्पणी की कि 'आप एक-दो दिन खुद को खाने से रोक सकते हैं.' इस पर मोहम्मद हम्माद हुसैन रजाईवाला ने कहा कि यह याचिका खुद को संयमित करने के बारे में नहीं है, बल्कि यह मौलिक अधिकारों के बारे में है. हम अपने देश को एक मिनट के लिए भी मौलिक अधिकारों पर रोक लगाने की कल्पना नहीं कर सकते हैं. पहले भी बूचड़खाने बंद कर दिए गए हैं, इसलिए इस प्रक्रिया को भविष्य के लिए रोका जा सकता है. ये याचिका कुरेश जमात के सदस्य मोहम्मद हम्माद हुसैन रजाईवाला और दानिश कुरैशी ने साथ दायर की है.
बूचड़खाना बंद करने का मुद्दा 2008 से विवादित रहा है, जब सुप्रीम कोर्ट ने जैनियों के पवित्र त्योहार पर्युषण के दौरान नगर निगम के फैसले को बरकरार रखते हुए बूचड़खाने बंद रखने का आदेश दिया था. उसके बाद कुरेश जमात ने इस आधार पर इस फैसले को चुनौती दी थी कि आदेश ने उनकी आजीविका को प्रभावित किया. उसके बाद नगर निकाय ने तब वादा किया था कि बूचड़खाने 11 दिनों के लिए बंद रहेंगे.
हाई कोर्ट में अब जो नई याचिका दायर हुई है, उसमें कुरेश जमात ने कहा कि तब से बूचड़खाने बंद करने के दिनों की संख्या बढ़ गई है. याचिका में तर्क दिया गया है कि बूचड़खाने के बंद होने से लोगों के भोजन के अधिकार और वे जो खाते हैं, उसे चुनने की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं. याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में उसके ही दिसंबर 2021 की एक टिप्पणी को पेश किया. जिसमें अहमदाबाद नगर निगम को लोगों की खाने की आदतों को नियंत्रित नहीं करने की नसीहत दी गई थी. यह कोर्ट ने तब कहा था जब नागरिक निकाय ने सार्वजनिक सड़कों पर अंडे और अन्य मांसाहारी खाद्य पदार्थ बेचने वाली गाड़ियों और स्टालों को बंद करने की कोशिश की थी. याचिकाकर्ता ने जब अंतरिम राहत के लिए कोर्ट पर दबाव डाला, अदालत ने मामले को शुक्रवार तक आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया.
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