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चंडीगढ़: हिंदू संगठनों ने मोनू मानेसर और जेल में बंद अन्य गौरक्षकों की रिहाई की मांग की है। इसे लेकर इन संगठनों की ओर से शुक्रवार को गुरुग्राम में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। एक हिंदू संगठन के सीनियर नेता ने कहा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को संबोधित ज्ञापन गुरुग्राम के उपायुक्त को सौंपा गया। प्रदर्शनकारियों ने जमकरा नारेबाजी की और मानेसर की रिहाई की मांग जोरशोर से उठाई। इसके साथ ही उन्होंने विधायक मामन खान के खिलाफ सख्त कार्रवाई और नूंह के पुलिस अधीक्षक को बर्खास्त किए जाने की मांग की।
विभिन्न हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि मोनू मानेसर को गलत तरीके से फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मानेसर के खिलाफ मामलों की जांच एनआईए या सीबीआई से कराई जानी चाहिए। इन लोगों ने कहा कि उन्हें पुलिस जांच पर भरोसा नहीं है। मालूम हो कि बजरंग दल का कार्यकर्ता मानेसर नासेर और जुनैद के अपहरण व हत्या के सिलसिले में अभी अजमेर की उच्च सुरक्षा वाली जेल में बंद है। इन दोनों व्यक्तियों का जला हुआ शव राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर 16 फरवरी को मिला था। इससे पहले कुछ गौरक्षकों ने इन पर गाय तस्करी का आरोप लगाते हुए इनका अपहरण कर लिया था।
बीते बुधवार को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के सदस्यों सहित अन्य ने मोनू मानेसर के समर्थन में पंचायत की थी। पंचायत बुधवार सुबह मानेसर के बाबा भीष्म मंदिर में हुई। पंचायत ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि 11 सदस्यीय समिति यह सुनिश्चित करेगी कि अगली पंचायत कब होगी। विहिप नेता देवेंद्र सिंह ने कहा, 'मोनू मानेसर को फंसाया जा रहा है। उसका नाम किसी मामले में नहीं है, लेकिन राजस्थान पुलिस बेवजह उसे इस मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है। हम 7 अक्टूबर को पटौदी अदालत में होने वाली सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद समिति अगले कदम पर फैसला करेगी।'
हरियाणा के पटौदी की एक अदालत ने पिछले महीने हत्या के प्रयास के मामले में गोरक्षक मोनू मानेसर के खिलाफ नया पेशी वारंट जारी किया था। इससे पहले अदालत ने 25 सितंबर के लिए पेशी वारंट जारी किया था लेकिन हरियाणा पुलिस ने कहा कि सुरक्षा अनुरक्षण उपलब्ध नहीं होने के कारण वे मोनू को राजस्थान से नहीं ला सकते। इसके बाद पुलिस ने अदालत में नया अनुरोध दायर किया। पंचायत में आसपास के गांवों के निवासी भी शामिल हुए। पंचायत में मौजूद गोरक्षक धर्मेंद्र ने कहा, 'राजस्थान पुलिस पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि जब नासिर और जुनैद की हत्या हुई तो मोनू मानेसर वहां मौजूद नहीं था। हम केवल मोनू मानेसर की रिहाई चाहते हैं, जिसके लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा।'
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