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पेगासस जासूसी कांड: राहुल गांधी का बड़ा हमला, पूछा- क्या PM को मिल रहा था डेटा? दें जवाब

jantaserishta.com
27 Oct 2021 11:44 AM GMT
पेगासस जासूसी कांड: राहुल गांधी का बड़ा हमला, पूछा- क्या PM को मिल रहा था डेटा? दें जवाब
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उन्होंने कहा कि ये हमारे देश के लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश है. पेगासस के जरिए सेंट्रल एजेंसियों पर अटैक किया गया है. हम चाहेंगे कि इस पर संसद में बहस हो. हम संसद में पेगासस का मुद्दा फिर उठाएंगे. हम प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर सुनना चाहते हैं. क्या प्रधानमंत्री को डेटा मिल रहा था?

Rahul Gandhi on Pegasus Issue: पेगासस मामले को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार को निशाने पर लिया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात पर मुहर लगाई है. हमने बीते संसद सत्र में पेगासस का मुद्दा उठाया था, हमें लगा कि यह लोकतंत्र की जड़ो पर हमला है. हमने संसद ठप की. सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से हमारी बात का समर्थन किया है.

राहुल गांधी ने कहा, ''हमारे तीन सवाल थे- किसने पेगासस को खरीदने की अनुमति दी. क्योंकि केवल सरकार ही इसे खरीद सकती है. किनके खिलाफ इस्तेमाल किया गया? जजों से लेकर बीजेपी, विपक्ष के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का नाम आया था. क्या किसी और देश के पास डाटा जा रहा था? कोई जवाब नहीं दिया गया. यह हमारे देश पर आक्रमण है. लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश है. सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है वह एक बड़ा कदम है. हमें उम्मीद है कि सच्चाई पता चलेगी.
राहुल गांधी ने कहा कि अगर पेगासस का इस्तेमाल आतंक के खिलाफ किया जाता है तो और बात है लेकिन अगर प्रधानमंत्री इसका निजी रूप से इस्तेमाल कर रहे थे तो यह अपराध है. कर्नाटक की सरकार पेगासस का इस्तेमाल कर गिराई गई. उन्होंने कहा कि इस मामले में देश की सरकार देश की सुरक्षा पर हमला कर रही है. राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में छिपने का कोई मतलब नहीं. यही राष्ट्रीय सुरक्षा है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज ही पेगासस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय तकनीकी कमिटी के गठन किया है. इस कमिटी की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आर वी रवींद्रन करेंगे. कोर्ट ने अपने फैसले में इस मामले में केंद्र सरकार के रवैये पर असंतोष जताया है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने न तो आरोपों का पूरी तरह खंडन किया, न विस्तृत जवाब दाखिल किया. अगर अवैध तरीके से जासूसी हुई है तो यह निजता और अभिव्यक्ति जैसे मौलिक अधिकारों का हनन है. जब मामला लोगों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा हो तो कोर्ट मूकदर्शक बन कर नहीं बैठा रह सकता.

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