x
न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | ANI
नई दिल्ली: आज सुप्रीम कोर्ट में पेगासस मामले में टेक्निकल कमेटी द्वारा दायर की गई रिपोर्ट पर सुनवाई हुई. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कमेटी को 29 मोबाइल फोन दिए गए थे, जिनमें से 5 में मैलवेयर है, लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि जासूसी की गई.
सीजेआई रमना ने कहा कि पेगासस मामले में बनी जस्टिस रवींद्रन की रिपोर्ट को गुप्त रखने की जरूरत नहीं है. हालांकि इस पर वकील कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि हम नहीं चाहते कि अदालत पूरी रिपोर्ट दे क्योंकि गोपनीयता को लेकर चिंताएं हैं. लेकिन मेरे मुवक्किलों ने अपने फोन दे दिए हैं. अगर उनमें कोई मैलवेयर था तो हमें सूचित किया जाना चाहिए. उसके बाद सीजेआई ने कहा कि हम देखेंगे कि रिपोर्ट का कौन सा हिस्सा हम जारी कर सकते हैं.
एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 2019 में ही भारत में कम से कम 1400 लोगों के निजी मोबाइल या सिस्टम की जासूसी हुई थी. कहा गया कि इसमें 40 मशहूर पत्रकार, विपक्ष के तीन बड़े नेता, संवैधानिक पद पर आसीन एक महानुभाव, केंद्र सरकार के दो मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के कई आला अफसर, दिग्गज उद्योगपति भी शामिल हैं. काफी हंगामे के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. मांग उठी की इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर का नाम है. इस वजह से इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है. इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी NSO Group ने बनाया है. पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है जो टारगेट के फोन में जाकर डेटा लेकर इसे सेंटर तक पहुंचाता है. इस सॉफ्टवेयर के फोन में जाते ही फोन सर्विलांस डिवाइस के तौर पर काम करने लगता है. इससे एंड्रॉयड और आईओएस दोनों को टारगेट किया जा सकता है.
jantaserishta.com
Next Story