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मरीजों को खून की जरूरत, ब्लड बैंक निर्माण की धीमी गति

26 Jan 2024 6:37 AM GMT
मरीजों को खून की जरूरत, ब्लड बैंक निर्माण की धीमी गति
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करौली। करौली हिण्डौन के जिला चिकित्सालय में स्वीकृति के दो वर्ष बाद भी ब्लड बैंक शुरू नहीं होने से रोगियों को रक्त चढ़ाने की यूनिटों में कमी आई है। पहले विभागीय प्रक्रिया में लेट लतीफी और अब भवन निर्माण की धीमी चाल रोगियों को रक्त की सहज उपलब्धता की राह में रोड़ा बन रही है। …

करौली। करौली हिण्डौन के जिला चिकित्सालय में स्वीकृति के दो वर्ष बाद भी ब्लड बैंक शुरू नहीं होने से रोगियों को रक्त चढ़ाने की यूनिटों में कमी आई है। पहले विभागीय प्रक्रिया में लेट लतीफी और अब भवन निर्माण की धीमी चाल रोगियों को रक्त की सहज उपलब्धता की राह में रोड़ा बन रही है। वर्ष 2023 में 566 रोगियों को रक्त चढ़ाया गया। जो वर्ष 2022 की तुलना में 143 यूनिट कम है। दरअसल क्षेत्र में रक्तदान के प्रति रुझान और चिकित्सा सुविधाओं में विस्तार के लिए के वर्ष 2022 के बजट में राज्य सरकार ने जिला चिकित्सालय में ब्लड बैंक स्वीकृत की थी। उस दौरान क्षेत्र के लोगों को जल्द ही रक्त संग्रहण केन्द्र के ब्लड बैंक में तब्दील होने से रक्तदान और रोगियों को एवज के रक्त सुलभता की उम्मीद थी।

लेकिन डेढ़ से अधिक समय निविदा और अन्य विभागीय प्रक्रियाओं में निकल गया। बीते वर्ष सितम्बर माह में राज्य सरकार के 40.42 लाख रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति मिलने पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की सिविल वर्क विंग ने 35.24 लाख रुपए लागत से चिकित्सालय मेडिकल वार्ड की छत पर ब्लड बैंक भवन का निर्माण शुरू कराया है। निर्माण का पूरा करने के लिए 6 माह की अवधि 31 मार्च निर्धारित है। आधे से अधिक समय बीतने के बाद भी एक चौथाई कार्य पूरा हो सका है। ऐसे में रोगियों को रक्त बैंक की सुविधा का इंतजार और बढ़ गया है। वहीं लोगों का रक्तदान के लिए करौली जाने की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है। प्रसूताओं और रक्ताल्पता रोगियों को रक्त चढ़ाने के लिए अस्पताल में वर्ष 2009 में रक्त संग्रहण केन्द्र शुरू हुआ था। इसमें करौली चिकित्सालय व जयपुरिया अस्पताल की ब्लड बैंक से रक्त की आपूर्ति सुनिश्चित की थी। 15 वर्ष से रक्त संग्रहण केन्द्र मदर ब्लड बैंकों के सहारे संचालित हो रहा है। मांग के अनुसार ब्लड यूनिट नहीं मिलने से रक्त संग्रहण केंद्र प्राय: रिजर्व मोड़ पर रहता है।

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