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गोल्डन गर्ल बनीं डीएसपी, पूरा हुआ सपना, जानें कैसे रचा इतिहास

27 Jan 2024 9:37 PM GMT
गोल्डन गर्ल बनीं डीएसपी, पूरा हुआ सपना, जानें कैसे रचा इतिहास
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लखनऊ: यूपी के सात खिलाड़ी शनिवार को अधिकारी बन गए। इनमें से चार खिलाड़यों को डीएसपी का नियुक्ति पत्र मिला है। खिलाड़ियों पर योगी सरकार ने जमकर धनवर्षा भी की है। 189 खिलाड़ियों को 62 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इनमें कई खिलाड़ियों को 75 लाख, डेढ़ करोड़ और तीन करोड़ रुपए तक की राशि …

लखनऊ: यूपी के सात खिलाड़ी शनिवार को अधिकारी बन गए। इनमें से चार खिलाड़यों को डीएसपी का नियुक्ति पत्र मिला है। खिलाड़ियों पर योगी सरकार ने जमकर धनवर्षा भी की है। 189 खिलाड़ियों को 62 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इनमें कई खिलाड़ियों को 75 लाख, डेढ़ करोड़ और तीन करोड़ रुपए तक की राशि मिली है। सबसे अधिक इनाम राशि साढ़े चार करोड़ रुपए मेरठ की पारुल चौधरी को मिले हैं। पारुल को यूपी में डीएसपी भी बनाया गया है। शनिवार को उन्‍हें लखनऊ के इंदिरा भवन में आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी के हाथों साढ़े चार करोड़ रुपए के चेक के साथ नियुक्ति पत्र मिला। पारुल चौधरी ने एशियाई खेल में 5000 मीटर की दौड़ में स्वर्ण और 3000 मीटर स्टीपल चेज में रजत पदक जीता था। इस मौके पर सीएम योगी ने पारुल और यूपी के सम्‍मानित किए गए अन्‍य खिलाड़ियों की जमकर तारीफ भी की।

चीन में आयोजित एशियाई खेलों में पारुल के प्रदर्शन को देखकर हर कोई हैरान रह गया था। पारुल चौधरी ने पांच हजार मीटर दौड़ जीती थी। अंतिम लैप में वह जापान की रिरिका हिरोनाका से पीछे चल रही थीं, लेकिन आखिरी चालीस मीटर में उन्हें पछाड़कर 15 मिनट 14.75 सेकंड के समय के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया था। एशियाई खेलों में पारुल का यह दूसरा पदक था। इसके पहले उन्होंने महिला 3000 मीटर स्टीपलचेज में भी रजत पदक जीता था।

पारुल, इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। गोल्डन गर्ल और उड़नपरी के नाम से मशहूर पारुल का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। मेरठ के एक साधारण किसान परिवार की पारुल ने गांव में ही अपनी बड़ी बहन प्रीति के साथ खेलना शुरू किया था। पिता कृष्‍णपाल सिंह के कहने पर स्‍कूल की दौड़ प्रतियोगिता प्रतिभाग कर उन्‍होंने खेल के अपने सफर की शुरुआत की। वह लम्‍बे समय तक गांव की टूटी-फूटी सड़कों पर अभ्यास करती रहीं। बाद में कोच गौरव त्यागी के कहने पर पारुल ने स्टेडियम में अभ्यास शुरू किया। बताते हैं कि प्रैक्टिस के लिए पारुल अपने पिता के साथ सुबह पांच बजे वह मुख्य मार्ग तक पहुंचती थीं। वहां से वह टेम्पो या किसी अन्य वाहन से स्टेडियम तक जाती थीं।

एशियाई खेल में पारुल ने 5000 मीटर दौड़ के लिए अलग रणनीति बनाई थी। शुरू में वह पांचवें और छठवें स्थान पर रहीं। चार हजार मीटर तक की दौड़ पूरी होने तक वह पांचवें स्थान पर बनी हुई थीं। इसके बाद उन्होंने अपनी गति बढ़ानी शुरू की और पांचवें से तीसरे नंबर पर पहुंच गईं। अंतिम दौर के 15 सेकंड में वह दूसरे स्थान पर थीं। पारुल ने आखिर के नौ सेकंड में अपनी गति को पूरी ताकत देते हुए स्‍वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।

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