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पार्टियों को सबसे ज्यादा कमाई चुनावी बॉन्ड से, देखें आंकड़े

Nilmani Pal
18 Feb 2022 2:13 AM GMT
पार्टियों को सबसे ज्यादा कमाई चुनावी बॉन्ड से, देखें आंकड़े
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दिल्ली। भारत में चुनावों में जमकर पैसा खर्च होता है. चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के खर्च पर सीमा तो लगी रखी है, लेकिन फिर भी राजनीतिक पार्टियां प्रचार में पानी की तरह पैसा बहाती हैं. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने अनुमान लगाया था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. उससे पहले 2014 के चुनाव में 30 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इस बार अकेले उत्तर प्रदेश के चुनाव में 4 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. ये पैसा पीछे के दरवाजे से आता है. यही कारण है कि चुनावों में करोड़ों रुपये कैश पकड़ा जाता है.

2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में 20 करोड़ कैश जब्त किया गया था. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने यूपी में 191 करोड़ रुपये कैश पकड़ा था. वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी में 115 करोड़ रुपये नकद पकड़े गए थे. अकेले बीजेपी ने 5 साल में 3 हजार 585 करोड़ रुपये चुनावों पर खर्च किए गए हैं, जबकि कांग्रेस ने 1 हजार 405 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया है. ये आंकड़ा 2015-16 से 2019-20 तक का है. ये जानकारी राजनीतिक पार्टियों की ओर से चुनाव आयोग को दी गई है.

राजनीतिक पार्टियों की कमाई का सबसे बड़ा सोर्स चुनावी बॉन्ड होता है. ये बैंकों से मिलता है. इसे ऐसे समझिए कि किसी व्यक्ति ने SBI से चुनावी बॉन्ड खरीदा और उसे किसी पार्टी को दे दिया. ये बॉन्ड 1 हजार रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का हो सकता है. 2019-20 में बीजेपी को 3 हजार 623 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी. इसमें से 2 हजार 555 करोड़ रुपये तो सिर्फ चुनावी बॉन्ड से आए थे. वहीं, कांग्रेस को 3.17 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से मिले थे, जबकि पार्टी की कुल कमाई 682 करोड़ रुपये से ज्यादा थी.

चुनावी बॉन्ड के अलावा डोनेशन, क्राउड फंडिंग और मेंबरशिप से आने वाली रकम भी राजनीतिक पार्टियों की कमाई का बड़ा सोर्स होता है. इसके अलावा कॉर्पोरेट डोनेशन से भी पार्टियों की कमाई होती है. इसमें बड़े कारोबारी पार्टियों को डोनेशन देते हैं. 2021 में देश में पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हुए थे. इस चुनाव में पार्टियों ने करोड़ों रुपये खर्च किए थे. अकेले बीजेपी ने 252 करोड़ रुपये खर्च किए थे. दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस थी, जिसने 154 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए थे. वहीं, कांग्रेस ने करीब 85 करोड़ रुपये खर्च किए थे.


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