एक संसदीय समिति ने सरकार से कहा कि वह भारतीय सशस्त्र बलों में अग्निवीर की भर्तियों के एक कानून को लागू करने की संभावनाएं तलाशें। उसने अन्य सरकारी नौकरियों की तरह अग्निवीरों की भर्तियों में आरक्षण लागू करने या अन्य सरकारी नौकरियों में अग्निवीरों को प्रमुखता देने का सुझाव दिया है, ताकि उनमें असंतोष नहीं हो।
सरकारी भर्तियों के लिए लाया जाए कानून
कार्मिक, जन शिकायतों और कानून व न्याय की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 131वीं रिपोर्ट में कहा कि उसने अग्निपथ योजना के बारे में जानकारी हासिल की है। साथ ही सुझाव दिया है कि इस योजना के तहत सरकारी भर्तियों के लिए एक कानून लाया जाए। अग्निपथ योजना के तहत चयनित उम्मीदवारों का पंजीकरण भारतीय सशस्त्र सेनाओं में केवल चार साल के लिए होगा। चार साल की सेवा के बाद 75 प्रतिशत सैनिकों को सेवाओं से मुक्त कर दिया जाएगा। केवल 25 प्रतिशत सैनिकों को सशस्त्र बलों में भर्ती कर लिया जाएगा।
इससे यह सवाल उत्पन्न होता है कि बाकी 75 प्रतिशत लोगों का क्या होगा? अग्निवीरों के बीच असंतोष नहीं होने देने के लिए शेष 75 प्रतिशत अग्निवीरों को अन्य सरकारी नौकरियों में आरक्षण या वरीयता दी जानी चाहिए। खासकर पुलिस बल, संसद सुरक्षा सेवा और अन्य सैन्य बलों में उन्हें वरीयता के आधार पर लिया जा सकता है।
अग्निवीरों की भर्ती के लिए आरक्षण!
संसदीय समिति ने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में क्या अग्निवीरों की भर्ती के लिए आरक्षण का कोई प्रविधान है। अगर वह अग्निपथ में चार साल पूरे करके आते हैं तो अर्धसैनिक बलों में भर्ती के लिए उन्हें आयु में छूट के साथ ही शारीरिक प्रशिक्षण में भी छूट की दरकार होगी। इस योजना के तहत फैसला लिया गया है कि दस प्रतिशत रिक्तियां पूर्व अग्निवीरों के लिए रखी जाएं। इसमें कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी), असम राइफल्स और सशस्त्र पुलिस बलों में राइफलमैन जैसे पदों पर आरक्षण दिया जाए। इनमें पदों के लिए उनकी ऊपरी आयु सीमा में भी छूट दी जाए।