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कोरोना वायरस के एक और वैरिएंट की दहशत, वैक्‍सीन से हो रहा बचाव

Kunti Dhruw
30 Aug 2021 5:51 PM GMT
कोरोना वायरस के एक और वैरिएंट की दहशत, वैक्‍सीन से हो रहा बचाव
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दुनिया के तमाम मुल्‍क अभी कोरोना के डेल्‍टा वैरिएंट से ही जूझ रहे हैं.

नई दिल्‍ली, दुनिया के तमाम मुल्‍क अभी कोरोना के डेल्‍टा वैरिएंट से ही जूझ रहे हैं कि वायरस में हुए एक नए बदलाव ने चिंता बढ़ा दी है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दक्षिण अफ्रीका समेत कई अन्य देशों में कोराना का एक नया वैरिएंट पाया गया है जो बेहद संक्रामक हो सकता है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि इस वैरिएंट से होने वाले जोखिम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह कोविड-19 रोधी वैक्‍सीन से मिलने वाली एंटीबॉडी सुरक्षा तक को चकमा दे सकता है।

इन देशों में दे चुका है दस्‍तक
दक्षिण अफ्रीका में मौजूद नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (National Institute for Communicable Diseases, NICD) और क्वाजुलु नैटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लैटफॉर्म (KwaZulu-Natal Research Innovation and Sequencing Platform, KRISP) के वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना के इस नए वैरिएंट सी.1.2 (SARS-CoV-2 Variant C.1.2 ) का मई में पता चला था। तब से लेकर बीते 13 अगस्त तक कोरोना का यह वैरिएंट चीन, कांगो, मॉरीशस, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में पाया जा चुका है।
वैरिएंट आफ इंटेरेस्ट की श्रेणी में रखा गया
वैज्ञानिकों ने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका में कोरोना की पहली लहर के दौरान सामने आए वायरस के वैरिएंट में से सी.1 की तुलना में सी.1.2 अधिक म्यूटेट हुआ है। उसे वैरिएंट आफ इंटेरेस्ट की श्रेणी में रखा गया। अध्ययन के अनुसार, सी.1.2 लाइनेज (वंशबेल) में हर साल लगभग 41.8 म्यूटेंट की म्यूटेशन दर है। जो अन्य तरह के वैरिएंट की मौजूदा ग्लोबल म्यूटेशन दर से लगभग दोगुनी है। वायरोलाजिस्ट उपासना रे ने कहा कि यह वैरिएंट स्पाइक प्रोटीन में सी.1.2 लाइन में जमा हुए कई म्यूटेशन का परिणाम है जो इसे, 2019 में चीन के वुहान में पहचाने गए मूल वायरस से बहुत अलग बनाता है।
तेजी से फैल रहा यह वैरिएंट

सीएसआइआर के कोलकाता स्थित संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट आफ केमिकल बायोलाजी से संबद्ध रे ने बताया कि तेजी से फैलने के कारण यह कम समय में बहुत से लोगों को संक्रमित कर सकता है। चूंकि स्पाइक प्रोटीन में बहुत सारे म्यूटेशन होते हैं, इसलिए है यह इम्यून सिस्टम से बच सकता है। अगर इसे फैलने दिया गया तो यह दुनिया भर के टीकाकरण अभियान के लिए चुनौती बन जाएगा।
ट्रांसमिशन चरण को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण
उपासना रे जो कि इस अध्ययन में शामिल नहीं थीं, उनका मानना है कि कोरोना नियंत्रण उपायों का उचित तरीके से पालन करके ट्रांसमिशन चरण को नियंत्रित करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। सी.1.2 के आधे से अधिक सिक्वेंस में 14 म्यूटेशन हैं, लेकिन कुछ सिक्वेंस में अतिरिक्त भिन्नताएं देखी गई हैं।

क्‍या कहते हैं वैज्ञानिक
अध्ययन के लेखकों ने कहा कि चूंकि ये म्यूटेशन सी.1.2 वायरस के बहुतायत से होते हैं लेकिन लाइनेज के स्पाइक क्षेत्र में अतिरिक्त वैरिएशन देखने को मिलते हैं। जो सतत इंट्रा-लाइनेज इवल्यूशन का इशारा करते हैं। सी.1.2 म्यूटेशन के स्पाइक क्षेत्र के लगभग 52 फीसद वैरिएंट पहले वैरिएंट आफ कंसर्न और वैरिएंट आफ इंटेरेस्ट में देखे गए हैं।

ऐसे काम करता है टीका

सार्स सीओवी-2 वायरस मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने और उनमें प्रवेश करने के लिए स्पाइक प्रोटीन का प्रयोग करता है। अधिकांश टीके इस क्षेत्र को ही अपना लक्ष्य बनाते हैं। चुनिंदा एंटीबाडी की प्रतिरक्षा को धता बताने वाले एन440के और वाई449एच म्यूटेशन सी.1.2 सिक्वेंस में भी देखे गए हैं।
म्‍यूटेशन के चलते खतरनाक
लेखकों ने बताया कि ये म्यूटेशन वायरस के अन्य भागों में परिवर्तन के साथ मिलकर एंटीबाडी और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को धोखा देने में सक्षम बनाते हैं। एल्फा या बीटा वैरिएंट से मुकाबले के लिए एंटीबाडी विकसित कर चुके रोगियों में भी इस तरह की लक्षण देखे गए हैं। लेखकों ने कहा कि अब जबकि सी.1.2 की फेनोटाइपिक विशेषताओं और एपिडामायोलाजी को परिभाषित किया जा रहा है, इस लाइनेज पर और रोशनी डालने की जरूरत है।
डब्ल्यूएचओ कर चुका है आगाह
यह जानकारी ऐसे वक्‍त में सामने आई है जब विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन आगाह कर चुका है कि आने वाले वक्‍त में कोरोना के और वैरिएंट सामने आ सकते हैं। डब्ल्यूएचओ ने बीते दिनों चेतावनी देते हुए कहा था कि भविष्‍य में कोरोना के अधिक खतरनाक वेरिएंट दुनिया भर में फैल सकते हैं। ऐसे में जब दुनिया कोरोना के डेल्‍टा वैरिएंट की मार से दो-चार है और रोज सैंकड़ो लोग मारे जा रहे हैं... लाखों मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण के बावजूद बेहद सावधान रहने की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ भी आगाह कर चुका है कि दुनिया से यह महामारी जल्द खत्म नहीं होने वाली है।


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