भारत

अपने ही प्रधानमंत्रियों का दुश्मन पाक

Nilmani Pal
13 May 2023 4:25 AM GMT
अपने ही प्रधानमंत्रियों का दुश्मन पाक
x

आर.के. सिन्हा

पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी को लेकर हैरान होने की जरूरत तो नहीं है। वहां पर इमरान खान से पहले भी कई प्रधानमंत्रियों को जेल की हवा खानी पड़ी है। सबसे पहले 1960 में सैनिक तानाशाह अयूब खान ने प्रधानमंत्री हुसैन शहीद सुहरावर्दी को जेल भेजा था। सुहारावर्दी देश के विभाजन से पहले बंगाल राज्य के प्रधानमंत्री थे। तब किसी राज्य के मुखिया को प्रधानमंत्री ही कहा जाता था। जब 1946 में जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन के आहवान के बाद कोलकात्ता में हिंसा भड़की तब सुहारावर्दी ही बंगाल के प्रधानमंत्री थे। कहते हैं कि उन्होंने हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा को रूकवाने की कोई चेष्टा नहीं की थी। हिंसा को हवा ज़रूर दी।

खैर, उनके बाद जुल्फिकार भुट्टो को जालंधर में पैदा हुए जिया उल हक ने जेल में भेजा। उसके बाद भुट्टो को फांसी भी हुई। भुट्टो के बाद उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो को भी जेल जाना पड़ा। फिर उनकी हत्या भी हुई। नवाज शरीफ और शाहिद अब्बासी ने भी प्रधानमंत्री के रूप में जेल की सलाखों के पीछे वक्त बिताया है। यही पाकिस्तान का चरित्र है। वहां पर निर्वाचित प्रधानमंत्रियों को पद से हटाने और गिऱफ्तार किये जाने की परंपरा पुरानी है।

हां, इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान जिस तरह से जलने लगा है उस तरह के हालात पहले कभी देखने में आये थे। इस लिहाज से इमरान खान की गिरफ्तारी थोड़ी अलग ज़रूर है। इमरान खान को करप्शन के आरोपों में जेल में डालने के कारण पाकिस्तान जलने लगा है। सारे देश का गुस्सा इमरान खान के सियासी शत्रुओं से ज्यादा सेना पर है। अवाम का कहना है कि पाकिस्तान को कभी पटरी पर आने ही नहीं दिया सेना ने। उसने देश में जम्हूरियत की जड़ों को मजबूत नहीं होने दिया। यह पाकिस्तान की जनता की सोच में बहुत बड़े बदलाव का संकेत भी है।

एक दौर में पाकिस्तानी अवाम अपनी सेना के लिए जान निसार करती थी। पर अब उसे जन्नत की हकीकत समझ आने लगी है। उसके सामने सच्चाई आ गई है। उसे पता चल गया है कि सेना के पूर्वी पाकिस्तान में कत्लेआम के कारण पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना। उसे समझ आ गया है कि सेना ने अकारण भारत पर 1965 और फिर 1971 में हमले किए और फिर मुंह की खाई।

सारे पाकिस्तान ने पिछले साल देखा था जब इमरान खान की सरकार को रावलपिंडी में बैठे जनरलों ने, करप्ट पाकिस्तानी मुस्लिम लीग, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी और कुछ छोटे राजनीतिक दलों को एक मंच में लाकर गिरवाया था। अब इमरान खान की गिरफ्तारी और वहां पर कठपुतली सरकार की गलत नीतियों के कारण मंहगाई से बेहाल नाराज जनता सड़कों पर आ गई है। जनता ने सेना के दफ्तरों से लेकर सेना के आला अफसरों के बंगलों को आग के हवाल कर दिया। यह तो एक दिन हो ना ही था। पाप का घड़ा फूटना ही था। प्रधानमंत्रियों की गिरफ्तारी से हटकर बात करें तो पाकिस्तान सेना ने बार-बार निर्वाचित सरकारों को गिराया है। अयूब खान, यहिया खान, जिया उल हक और परवेज मुशर्रफ के समय पाकिस्तान में लोकतंत्र कराहता रहा।

पाकिस्तानी सेना ने देश के विश्व मानचित्र में सामने आने के बाद अहम राजनीतिक संस्थाओं पर भी प्रभाव बढ़ाना शुरु कर दिया। अयूब खान पर तो आरोप थे कि उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना को ही मरवा दिया था।

जिया उल हक ने पाकिस्तान को घोर कठमुल्ला मुल्क भी बनवाया। पाकिस्तान का शिक्षित समाज उन्हें इसके लिये कोसता है। हालांकि उनकी विमान हादसे में मौत में भी सेना का ही हाथ बताया जाता है। सेना को ही लियाकत अली खान और बेनजीर भुट्टो के कत्ल का भी जिम्मेदार माना जाता है। लियाकत अली खान 1946 में पंडित नेहरू के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार में वित्त मंत्री थे। वे घोर हिन्दू विरोधी थे। उन्होंने 1946 में अंतरिम सरकार का बजट भी पेश किया था। उसे हिन्दू व्यापारी विरोधी बजट माना गया था।

इमरान खान आरोप लगाते रहे हैं कि हैं कि उनकी सरकार को सेना ने चलने नहीं दिया। वे तब के सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा को आड़े हाथ लेते भी रहे थे। वे कहते थे कि उनकी सत्ता की बागडोर उनके हाथ में नहीं थी। उनका इशारा सेना की तरफ ही था।

अपने अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे पाकिस्तान में इमरान खान के सामने आखिर क्या विकल्प बचे हैं? इमरान खान के बाद उनकी पार्टी के कुछ नेताओं जैसे शाह महमूद कुरैशी तथा फवाद चौधरी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। अभी कुछ और गिरफ्तारियां होने की आशंका है। पाकिस्तान में हालत बेहद नाजुक बने हुए हैं। पाकिस्तान धधक रहा है। इमरान खान के हक में पंजाब, खैबर, बलूचिस्तान और सिंध में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। एक तरह ये जन आन्दोलन इमरान के पक्ष में कम और सेना के विरुद्ध ज्यादा हैं। जाहिर है, पाकिस्तान जनता अब थक गई है, अपने ही देश के कथित रहनुमाओं की घटिया हरकतों के कारण। वह जिन्हें महान समझती थी वे सब के सब गटर छाप निकले। उन्होंने पाकिस्तान को दुनिया का सबसे अंधकार में रहने वाला देश बना दिया। पाकिस्तान में कोई बाहर से इनवेस्टमेंट भी नहीं आ रही। अन्य देशों के पर्यटक भी नहीं आ रहे। इन कठिन हालात में पाकिस्तान का सिर्फ ऊपर वाला ही मालिक है।

जहां तक इमरान खान की बात है तो उन्हें सिर्फ न्यायपालिका से न्याय की उम्मीद करनी चाहिए। वे इतना तो समझ गए होंगे कि अब उनके लिए आने वाला वक्त कोई बहुत बेहतर नहीं रहने वाला। उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है। एक संभावना यह भी हो सकती है कि उन्हें देश को छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया जाए। पर अभी यह कहना भी जल्दी ही होगी। पाकिस्तान में लगातार अराजकता भारत के लिए भी चिंता की वजह है। भारत की सीमा पाकिस्तान से मिलती है। यह सबको पता है। भारत को सतर्क रहना होगा क्योंकि पाकिस्तान में स्थिति भयावह हो सकती है। पाकिस्तान गृह युद्ध की तरफ ही जाता नजर आ रहा है।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

Next Story