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लावारिस लाशों के मसीहा कहे जाने वाले 'पद्मश्री' शरीफ चाचा की तबीयत खराब

Nilmani Pal
23 Jan 2022 4:21 PM GMT
लावारिस लाशों के मसीहा कहे जाने वाले पद्मश्री शरीफ चाचा की तबीयत खराब
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यूपी। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अयोध्या में 'लावारिस लाशों के मसीहा' कहे जाने वाले 'पद्मश्री' मोहम्मद शरीफ (Padma Shri ) उर्फ़ शरीफ चाचा (Shareef Chacha) इन दिनों काफी बीमार हैं. 2019 में पद्मश्री से सम्मानित शरीफ चाचा की तबीयत काफी खराब है. 84 साल के मोहम्मद शरीफ की कमर से नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया है. उन्हें अब उठने-बैठने से लेकर हर दिन के काम करने के लिए दूसरों का सहारा लेना पड़ता है. वह अब शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो गए हैं. शरीफ चाचा के बेटे मोहम्मद सगीर के मुताबिक अयोध्या (Ayodhya) के डॉक्टरों ने उन्हें लखनऊ में न्यूरो सर्जन "स्पेशलिस्ट" डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी है. हालांकि परिवार अभी अयोध्या में ही मोहम्मद शरीफ का इलाज कराने की इच्छा जता रहा है.

उनके बेटे मोहम्मद सगीर ने बताया कि प्रशासन ने लखनऊ (Lucknow) में उनका इलाज करवाने का आश्वासन दिया है. हालांकि उन्हें लगता है कि अगर उनके पिता का अयोध्या में ही अच्छा इलाज हो, तो ज्यादा बेहतर रहेगा. साल 2019 में मोहम्मद शरीफ को पद्मश्री सम्मान (Padma Shri Award) के लिए चुना गया था.हालांकि कोरोना संक्रमण की वजह से उन्हें साल 2020 में यह अवार्ड दिया गया था. शरीफ चाचा की एक मामूली साइकिल मिस्त्री से पद्मश्री सम्मान तक पहुंचने का सफर काफी दिलचस्प है. शरीफ चाचा ने जाति-धर्म से ऊपर उठकर लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया. समाज में इसी उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया.

बता दें कि 29 साल पहले एक दुर्घटना में मोहम्मद शरीफ के बड़े बेटे मोहम्मद रईस की मौत हो गई थी. अयोध्या जिले से सटे सुल्तानपुर जिले में उनकी मौत हुई थी. मोहम्मद रईस के शव की शिनाख्त न होने की वजह से पुलिस ने लावारिस शवों की तरह ही शरीफ चाचा के बेटे का अंतिम संस्कार किया था. इस घटना ने मोहम्मद शरीफ को अंदर से पूरी तरह झकझोर दिया. इस घटना के बाद उन्होंने संकल्प लिया कि अब अयोध्या जिले में कोई भी शव लावारिस नहीं होगा. खबर के मुताबिक शरीफ चाचा अब तक करीब 20 से 25 हजार लावारिस शवों का निस्वार्थ अंतिम संस्कार कर चुके हैं. लावारिस शवों का मसीहा कहे जाने वाले शरीफ चाचा अब खुद बीमार हो गए हैं. बीमारी की वजह से वह अपना कोई भी काम करने में समर्थ नहीं हैं. वह अपने सभी कामों के लिए परिवार पर निर्भर हैं.


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