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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए आजीवन काम करने वाले बाबा योगेंद्र का निधन हो गया है. संघ के वरिष्ठतम प्रचारकों में से एक बाबा योगेंद्र ने 99 साल की उम्र में यूपी की राजधानी लखनऊ में अंतिम सांस ली. वे संस्कार भारती के संरक्षक भी थे. बाबा योगेंद्र के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई दिग्गजों ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है.
बताया जाता है कि बाबा योगेंद्र को तबीयत बिगड़ने के बाद उपचार के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाबा योगेंद्र ने नानाजी देशमुख और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ही दत्तोपंत ठेंगड़ी के साथ भी काम किया था. बाबा योगेंद्र ने लोक कलाकारों को मंच देने के लिए आजीवन काम किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि देश सेवा में समर्पित पद्मश्री बाबा योगेंद्र के देहावसान से अत्यंत दुख हुआ. उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है.
वहीं, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा कि बाबा योगेंद्र कला के प्रति समर्पित रहे. उन्होंने नवोदित कलाकारों को हमेशा प्रोत्साहित किया. उनके निधन से कला जगत को अपूरणीय क्षति हुई है.
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी ट्वीट कर बाबा योगेंद्र के निधन पर दुख जताया है.
साल 1981 में संस्कार भारती का गठन हुआ और इसकी जिम्मेदारी संघ के प्रचारक बाबा योगेंद्र को दी गई थी. बाबा योगेंद्र ने कई कलाकारों, लोक कला के जानकारों को संस्कार भारती से जोड़ा. खास बात ये है कि देश भर में कहीं की भी लोक कला हो, बाबा योगेंद्र ने उसको संस्कार भारती का हिस्सा बनाया. बड़े कलाकारों की जगह छोटे-छोटे कलाकारों को संगठन से जोड़ा, कला और संस्कृति से जुड़े आयोजन किए. बाबा योगेंद्र ने संस्कार भारती को संस्कार, कला और राष्ट्रप्रेम की त्रिवेणी बनाया.
देश के हर राज्य में आज संस्कार भारती की शाखाएं हैं जो राष्ट्रवाद को लोक कला से मिलाकर कलाकारों को न सिर्फ प्रोत्साहित करती हैं, बल्कि जगह-जगह आयोजन भी करती हैं. कला की इसी साधना के लिए बाबा योगेंद्र को पद्मश्री से सम्मानित किया गया. बाबा योगेंद्र ने लोक कला के संवर्धन और लोक कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए काम किया ही, संघ के सिद्धांतों को कला के माध्यम से दूर-दराज तक पहुंचाया भी. बाबा योगेंद्र को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था.
बाबा योगेंद्र की गिनती संघ के वरिष्ठतम प्रचारकों में होती थी. बाबा योगेंद्र का जन्म 7 जनवरी 1924 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के वकील विजय बहादुर श्रीवास्तव के घर हुआ था. जैसे ही उनका जन्म हुआ, मां का साया सिर से उठ गया. उनका लालन-पालन पड़ोस की एक महिला ने किया. छात्र जीवन के दौरान ही योगेंद्र गोरखपुर में नानाजी देखमुख के संपर्क में आ गए.
कहा जाता है कि योगेंद्र सुबह में पढ़ने जाते और शाम को संघ की शाखा में. नानाजी देशमुख हर दिन सुबह योगेंद्र को जगाने पहुंचते जिससे वे जल्दी उठकर पढ़ पाएं. योगेंद्र पर संघ और नानाजी के सेवा भाव का ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने अपना जीवन संघ की सेवा में ही समर्पित करने का निर्णय कर लिया. नानाजी के संपर्क में आकर संघ की सेवा में जीवन समर्पित करने का निर्णय लेने वाले बाबा योगेंद्र का मजदूर संघ और किसान संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी से भी निकट संबंध रहा.
बाबा योगेंद्र ने 1942 में संघ का प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण पास किया और इसके बाद 1945 में प्रचारक बन गए. पहले वे अलग-अलग जगह संघ के प्रचारक के तौर पर काम करते रहे, बाद में देश विभाजन ने उनको अंदर तक झकझोर दिया. बाबा योगेंद्र ने संघ के शिक्षा वर्ग में ही सबसे पहले चित्रकला प्रदर्शनी लगाई. कहा जाता है कि इस प्रदर्शनी ने सबको इतना प्रभावित किया कि हर किसी ने उनसे इस कला यात्रा को जारी रखने का अनुरोध किया. बस यहीं से कला, संस्कार और राष्ट्रप्रेम को बाबा योगेंद्र ने एक कर दिया और इसी कार्य में जीवन बता दिया.
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