पद्म पुरस्कार विजेता ने किया रेप, गोद ली हुई बच्ची को बनाया हवस का शिकार
मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'हम इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन इस मामले की जांच जारी है.' अपने आदेश में जस्टिस अरुण देव चौधरी ने कहा कि कथित अपराध गंभीर है. उन्होंने कहा कि पीड़िता के आरोप को ध्यान में रखते हुए एफआईआर दर्ज की गई थी, क्योंकि उसकी प्रतिष्ठा को अपमानित करने और बदनाम करने की कोशिश की गई. इसके अलावा जिले की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के खिलाफ एक जवाबी याचिका भी दर्ज की गई थी.
एफआईआर में पीड़िता के किसी खास बयान का जिक्र नहीं है. इस पर कोर्ट ने कहा कि न्याय के हित में एक अंतरिम आदेश पारित किया जाएगा. इसमें याचिकाकर्ता को 7 दिनों के भीतर पुलिस के सामने पेश होने को कहा गया है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी उनके सामने पेश हुआ और उसका बयान दर्ज कर लिया गया है. पीड़िता फिलहाल बाल गृह में विशेष पुलिस सुरक्षा की निगरानी में है.
पोक्सो एक्ट-2012 को बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बनाया था. साल 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है. देश में बच्चियों के साथ बढती दरिंदगी को रोकने के लिए 'पोक्सो एक्ट-2012' में बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी. इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाती है.