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चंद्रमा की ऑर्बिट में पहुंचा हमारा चंद्रयान-3, देखें LIVE VIDEO...

Shantanu Roy
5 Aug 2023 3:08 PM GMT
चंद्रमा की ऑर्बिट में पहुंचा हमारा चंद्रयान-3, देखें LIVE VIDEO...
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नई दिल्ली। चंद्रयान-3 ने 22 दिन के सफर के बाद आज शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। 14 जुलाई को ये पृथ्वी से लॉन्च हुआ था। यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके इसके लिए यान की स्पीड कम की गई। स्पीड कम करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने यान के थ्रस्टर कुछ देर के लिए फायर किए। इसरो ने X पोस्ट में इसकी जानकारी दी।
इसरो ने X पोस्ट में लिखा, 'MOX, ISTRAC, दिस इज चंद्रयान-3। मैं चंद्र गुरुत्वाकर्षण महसूस कर रहा हूं। चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है। अब 6 अगस्त 2023 को रात करीब 11 बजे चंद्रयान की ऑर्बिट को कम किया जाएगा।' लैंडिंग से पहले चंद्रयान अब 4 बार अपनी ऑर्बिट बदलेगा।
1 अगस्त को रात करीब 12 बजे चंद्रयान-3 को पृथ्वी की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेजा गया था। इसे ट्रांसलूनर इंजेक्शन कहा जाता है। इससे पहले चंद्रयान ऐसी अंडाकार कक्षा में घूम रहा था, जिसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 236 km और सबसे ज्यादा दूरी 1 लाख 27 हजार 603 किलोमीटर थी। ये 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करेगा।
ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए बेंगलुरु में मौजूद इसरो के हेडक्वार्टर से वैज्ञानिकों ने चंद्रयान का इंजन कुछ देर के लिए चालू किया था। इंजन फायरिंग तब की गई जब चंद्रयान पृथ्वी से 236 km की दूरी पर था। इसरो ने कहा- चंद्रयान-3 पृथ्वी के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी कर चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। इसरो ने अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित कर दिया है।
चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।
Chandrayaan-3 ने चंद्रमा की बाहरी कक्षा पकड़ ली है. अब चंद्रयान-3 चंद्रमा के चारों तरफ 166 km x 18054 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा. इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ने के लिए करीब 20 से 25 मिनट तक थ्रस्टर्स ऑन रखा. इसी के साथ चंद्रयान चंद्रमा की ग्रैविटी में फंस गया. अब वह उसके चारों तरफ चक्कर लगाता रहेगा. इसे लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन या इंसर्शन भी कहते हैं. चंद्रमा के चारों तरफ पांच ऑर्बिट बदले जाएंगे. आज के बाद 6 अगस्त की रात 11 बजे के आसपास चंद्रयान की ऑर्बिट को 10 से 12 हजार किलोमीटर वाली ऑर्बिट में डाला जाएगा. 9 अगस्त की दोपहर पौने दो बजे करीब इसके ऑर्बिट को बदलकर 4 से 5 हजार किलोमीटर की ऑर्बिट में डाला जाएगा.
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