उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के जमालपुर यूपीएचसी पर कूड़ेदान में कोविड-19 टीकाकरण की लोडेड सिरिंज मिलने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. सोमवार को यूपी सरकार ने स्वास्थ्यकर्मी नेहा खान द्वारा नफरत, द्वेष और साजिश के तहत खाली सिरिंज लगाकर वैक्सीन बर्बाद करने के घिनौने आपराधिक कृत्य की उच्च स्तरीय जांच शुरू करने के आदेश दिए हैं. प्रारंभिक जांच में मिले प्रमाण है कि नेहा खान द्वारा आपराधिक मानसिकता, नफरत की भावना व वैक्सीनेशन अभियान को नुकसान पहुंचाने के लिए ये घिनौना कृत्य किया. वहीं उसने वैक्सीन तो बर्बाद किया, साथ ही जिन लोगों का वैक्सीनेशन हो रहा था, उनको यदि भविष्य में कोरोना से नुकसान होता तो भारतीय वैक्सीन पर सवाल भी उठते. इस घटना के बाद सभी जगहों पर ऐसी आपराधिक मानसिकता वालों से एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए है.
बता दें कि वैक्सीन की बर्बादी के बारे में जैसे ही आला अधिकारियों को पता लगा तो इस मामले की जांच डॉ एम.के.माथुर और डॉ दुर्गेश कुमार को दी गई. जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में दोनों अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट सौंप दी है. जांच में ANM नेहा खान और मेडिकल ऑफिसर डॉ आरफीन को दोषी पाया गया है. प्रशासन ने कार्रवाई की तैयारी कर ली है. इससे पहले शनिवार देर रात प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. आरफीन जेहरा व संविदा एएनएम नेहा खान के खिलाफ मामला दर्ज कराया था.
दरअसल अलीगढ़ के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के जमालपुर स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 18 से 44 वर्ष के लोगों को कोविड का टीका लग रहा था. वहां एएनएम नेहा खान लोगों का टीकाकरण कर रही थी. स्वास्थ्य केंद्र के अन्य स्टाफ का आरोप है कि नेहा खान कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण करने के बजाये लोडेड सिरिंज की पिन तोड़कर लोडेड सिरिंज कूड़ेदान के कूड़े में फेंक रही थी. स्टाफ का कहना है कि इस बात को मौके पर मौजूद जब अन्य स्टाफ ने उनसे कहा तो एएनएम नेहा खान ने अस्पताल स्टाफ को कहा कि मेरा 'मूड खराब' है और इसके बाद वहां से हट गई. इस तरह वहां 29 लोडेड सिरिंज कूड़ेदान में मिली हैं. मामला जब सीएमओ कार्यालय पहुंचा तो हड़कंप मच गया.