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विजय मिश्रा को रिहा करने का आदेश, बाहुबली माफिया के नाम से है मशहूर

Nilmani Pal
18 March 2023 1:25 AM GMT
विजय मिश्रा को रिहा करने का आदेश, बाहुबली माफिया के नाम से है मशहूर
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यूपी। बाहुबली माफिया विजय मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. ग्राम प्रधान के लेटर पैड पर फर्जी हस्ताक्षर मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विजय मिश्रा को सशर्त जमानत दे दी है. कोर्ट ने थाना गोपीगंज, संत रविदास नगर, भदोही में दर्ज आपराधिक मामले में व्यक्तिगत मुचलके और दो प्रतिभूति लेकर विजय मिश्रा को रिहा करने का आदेश दिया है. विजय मिश्रा 14 अगस्त 2020 से जेल में बंद है. यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने दिया है.

विजय मिश्रा की तरफ से लगाई गई याचिका में कहा गया था कि उसे राजनीतिक द्वेष के चलते झूठे केसों में फंसाया गया है. उसके आपराधिक इतिहास का खुलासा करते हुए पुलिस ने उसे राजनीतिक दबाव में बलि का बकरा बनाया है. वह कानून मानने वाला नागरिक हैं. दरअसल, 30नवंबर 22 को ट्रायल कोर्ट ने विजय मिश्रा की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. याची ने जांच एजेंसी भी बदलने की अर्जी दी थी. उसने अपनी याचिका में कहा था कि सत्ता की राजनीति में प्रभावी लोगों ने उसे फंसाया है. उसके खिलाफ कोई केस नहीं बनता. सरकार का कहना था कि ग्राम प्रधान के लेटर पैड पर फर्जी हस्ताक्षर कर धोखाधड़ी की गई है. इसके अलावा विजय का आपराधिक इतिहास भी है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर विजय मिश्रा की सशर्तम जमानत मंजूर कर ली थी.

इससे पहले 23 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विजय मिश्रा की सशर्त जमानत अर्जी मंजूर कर ली थी. कोर्ट ने षड्यंत्र व हत्या की सुपारी मांगने के मामले में यह जमानत दी थी. संत रविदास नगर भदोही के गोपीगंज थाने में मिश्रा के खिलाफ आपराधिक केस किए गए थे. जस्टिस अजय भनोट की सिंगल बेंच ने सशर्त जमानत मंजूर करते हुए उन्हें व्यक्तिगत मुचलके व दो प्रतिभूति पर रिहा करने का आदेश दिया थे. विजय मिश्रा के खिलाफ 65 से ज्यादा आपराधिक केस दर्ज हैं. विजय मिश्रा ने कोर्ट से कहा था कि वह कानून का पालन करने वाला व्यक्ति है. राजनीतिक शक्ति वाले कुछ लोगों ने उसे व उसके परिवार को दुर्भावनावश फंसाया है. उसके खिलाफ अपराध का कोई साक्ष्य नहीं हैं. वह 14 अगस्त 20 से जेल में बंद है.


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