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देशभर में 20 से 30 सितंबर तक विपक्ष का करेंगे प्रदर्शन, सरकार के सामने रखीं यह 11 मांगें
Deepa Sahu
20 Aug 2021 6:49 PM GMT
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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बुलावे पर शुक्रवार को वर्चुअल बैठक में जुटे 19 दलों के नेताओं ने मोदी सरकार के खिलाफ साथ लड़ने का फैसला किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बुलावे पर शुक्रवार को वर्चुअल बैठक में जुटे 19 दलों के नेताओं ने मोदी सरकार के खिलाफ साथ लड़ने का फैसला किया है। तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), शिवसेना सहित 19 विपक्षी दलों ने सरकार के सामने 11 मांगों का चार्टर रखा है तो 20 से 30 सितंबर के बीच देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों का ऐलान किया है। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में संसद के मॉनसून सत्र के बर्बाद होने को लेकर भी मोदी सरकार पर ठीकरा फोड़ा गया है।
विपक्षी दलों ने कहा कि सरकार पेगासस मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराए, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करे, महंगाई पर अंकुश लगाए और जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करे। विपक्षी ने यह मांग की कि आयकर के दायरे से बाहर के सभी परिवारों को 7500 रुपए की मासिक मदद दी जाए और जरूरतमंदों को मुफ्त अनाज तथा रोजमर्रा की जरूरत की दूसरी चीजें मुहैया कराई जाएं।
विपक्षी पार्टियों ने कहा, ''पेट्रोलियम उत्पादों, रसोई गैस, खाने में उपयोग होने वाले तेल और दूसरी जरूरी वस्तुओं की कीमतों में कमी की जाए। तीनों किसान विरोधी कानूनों को निरस्त किया जाए और एमएसपी की गारंटी दी जाए। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का निजीकरण बंद हो, श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए और कामकाजी तबके के अधिकारों को बहाल किया जाए।'' विपक्ष ने सभी राजनीतिक कैदियों को भी रिहा करने की अपील की है।
विपक्षी दलों ने सरकार से आग्रह किया, ''एमएसएमई क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन पैकेज दिया जाए, खाली सरकारी पदों को भरा जाए। मनरेगा के तहत कार्य की 200 दिन की गारंटी दी जाए और मजदूरी को दोगुना किया जाए। इसी तर्ज पर शहरी क्षेत्र के लिए कानून बने। उन्होंने कहा कि शिक्षकों, शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों और छात्रों का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण हो।''
उन्होंने कहा, ''हम केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के उस रवैये की निंदा करते हैं कि जिस तरह उसने मॉनसून सत्र में व्यवधान डाला, पेगासस सैन्य स्पाईवेयर के गैरकानूनी उपयोग पर चर्चा कराने या जवाब देने से इनकार किया, कृषि विरोधी तीनों कानूनों निरस्त करने की मांग, कोविड महामारी के कु्प्रबंधन, महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा नहीं कराई।''
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इन मुद्दों और देश और जनता को प्रभावित करने वाले कई अन्य मुद्दों की जानबूझकर उपेक्षा की गई। विपक्षी दलों ने मानसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में हुए हंगामे का उल्लेख करते हुए दावा किया कि विपक्षी सदस्यों के विरोध को रोकने के लिए मार्शलों की तैनाती करके कुछ महिला सांसदों समेत कई सांसदों को चोटिल किया गया तथा सदस्यों को सदन के भीतर अपनी बात रखने से रोका गया।
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