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यूपी में विपक्ष की एकता अब भी है सपना

jantaserishta.com
2 Jan 2023 9:46 AM GMT
यूपी में विपक्ष की एकता अब भी है सपना
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अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

लखनऊ (आईएएनएस)| नए साल के सिर्फ दो दिन में यह स्पष्ट हो गया है कि 2024 के आम चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में विपक्षी एकता एक सपना बनकर रह जाएगा। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की यह टिप्पणी कि समाजवादी पार्टी (सपा) का राष्ट्रीय ²ष्टिकोण नहीं है, ने विपक्षी दलों के बीच दोषारोपण का एक नया दौर शुरू कर दिया है। इससे भाजपा खुश है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि उनकी पार्टी का ²ष्टिकोण राष्ट्रीय है और वह राष्ट्रहित में मजबूत राजनीतिक हस्तक्षेप करती रही है।
पार्टी प्रमुख ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सपा पूरी तरह से भारतीय संविधान में विश्वास करती है और लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए उनकी पार्टी संकल्पित है। समाजवादी पार्टी देश के विकास पर पैनी नजर रखते हुए राष्ट्रहित में मजबूत राजनीतिक दखलंदाजी करती रही है।
अखिलेश ने उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समर्थन करने की खबरों को भी खारिज कर दिया।
सपा के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल ने यात्रा में शामिल होने के सवाल को पहले ही ठुकरा दिया है।
इस बीच बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने देश में ओबीसी और दलितों की दुर्दशा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए नए साल का स्वागत किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि सपा आरक्षण के मुद्दे पर ओबीसी और दलितों को एक कच्चा सौदा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
सपा ने तुरंत हमले का पलटवार किया और पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि लोग जानते हैं कि मायावती किसका समर्थन कर रही हैं और उनकी कोई नहीं सुनेगा।
शिवपाल ने इटावा में संवाददाताओं से कहा, हर कोई जानता है कि वह (बसपा प्रमुख मायावती) किसके साथ रही हैं और किसके लिए काम कर रही हैं। अब उनकी कोई नहीं सुनेगा।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक आर.पी. शुक्ला कहते हैं, विपक्ष ने 2023 में बीजेपी को मुस्कुराने की वजह दी है। विपक्षी एकता की सारी बातें पहले ही धराशायी हो चुकी हैं और खंडित विपक्ष बीजेपी की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करेगा। ये नेता अपने राजनीतिक लक्ष्यों के आगे अपना अहंकार रखते हैं। उत्तरप्रदेश में मुख्य विपक्षी दल के रूप में सभी को एक साथ लाने की जिम्मेदारी अखिलेश यादव की है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि वे अकेले ही भाजपा को हरा सकते हैं। उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनावों से सबक नहीं सीखा है।
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