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धुरविरोधी एक साथ! जब सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों कार में बैठे आगे, पढ़े पूरा किस्सा
jantaserishta.com
9 Oct 2021 12:22 PM GMT
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फाइल फोटो
जयपुर. राजस्थान में सत्ता संघर्ष की अनोखी दास्तान चल रही है. राजस्थान में पांच महीने बाद शुक्रवार को धुरविरोधी सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट एकसाथ नजर आए. पहले एक हेलिकॉप्टर में फिर एक कार में और आखिर में एक मंच पर अशोक गहलोत औऱ सचिन पायलट दिखे. हेलिकॉप्टर जयपुर से वल्ल्भनगर के बीच हवा में बातें कर रहा था. इस हेलिकॉप्टर में एक साथ बैठे दो धुरविरोधी नेताओं की तस्वीर देखकर शायद आप चौंक गए होगे. हेलिकॉप्टर में भले ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट अलग-अलग कोने में बैठे थे लेकिन दोनों की नजरें भी मिलीं. नजरों में इकरार भी था, इनकार भी. कभी गहलोत पायलट को देखे तो पायलट मुंह फेर लें. जब पायलट देखें तब गहलोत दूसरी तरफ देखते नजर आए.
दोनों के बीच सेतु राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन और गोविंद सिंह डोटसरा बैठे थे. कुछ अंदाजा लगा पाए तब तक हेलिकॉप्टर उदयपुर के वल्ल्भनगर लैंड कर गया. फिर एक और चौंकाने वाली तस्वीर हेलिपेड पर दिखी. जैसे ही ड्राइवर कार लेकर पहुंचा, गहलोत अगली सीट पर बैठे तो पायलट ने ड्राइविंग सीट खुद थाम ली. ये भी एक पहेली है. ये पहला मौका नहीं ऐसा कई दफा हुआ जब भी पायलट-गहलोत साथ में थे. पायलट, गहलोत के पीछे वाली सीट पर कार में कभी नहीं बैठे. गहलोत आगे बैठे तो पायलट ने हमेशा स्टियरिंग थामी. दोनों के बीच आप इसे फ्रंट सीट की प्रतिस्पर्धा कह सकते है या बराबर दिखने की होड़. या कुछ और. कार में साथ थे लेकिन दोनों के बीच तालमेल बिल्कुल नहीं दिखा.
वल्ल्भनगर में उपचुनाव की नामांकन रैली के मंच पर पहुंचे तब गहलोत पायलट बगल में नहीं बैठे. बीच में राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन थे. न नजरें मिलाईं मंच पर न गहलोत पायलट के बीच कोई बात. मंच से फिर गहलोत-पायलट ने दोनों ने एक ही बात कही कि प्रत्याशी को टिकट सभी ने मिलकर दिया. यानी गहलोत-पायलट दोनों ने सहमति से. गहलोत ने तो यहां तक कहा उनकी पार्टी मे एकता है..फूट तो बीजेपी में है. दोनों जो भी बोले, ऐसा लगा जैसे सब कुछ स्क्रिपेटेड था. राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ही दोनों को एक साथ पहले हेलिकॉप्टर में, फिर रैली के मंच पर साथ लाए. मानो माकन ने ये संदेश दोनों को दे दिया कि भले ही वे धुरविरोधी हैं लेकिन उपचुनाव में जीत के लिए एकजुटता का संदेश इसी तरह दिया जाना जरूरी है.
इससे पहले पांच महीने पहले जब तीन सीटों पर उपचुनाव थे, तब भी गहलोत-पायलट एकदूसरे को देखना पसंद नहीं करते थे लेकिन अजय माकन तब भी दोनों को इसी तरह नामांकन रैलियों में एक साथ हेलिकॉप्टर में लेकर पहुंचे थे औऱ कांग्रेस तीन में दो सीटें जीतने मे कामयाब रही थी. एक बार फिर वही फॉर्मुला अपनाया.
गहलोत-पायलट की की तस्वीरों को देखकर आप कोई राय बनाएं, उससे पहले गुरुवार रात को जयपुर में एक बुक लांच कार्यक्रम में सचिन पायलट के गहलोत पर कसकर कसे तंज को भी देख लीजिए. गहलोत को पहला जबाब पायलट का ये कि वे 50 साल तक यहीं यानी राजस्थान में ही रहेंगे. यहीं नहीं रुके गहलोत की सादगी औऱ जमीन से जुड़े होने की छवि पर हमला बोला और कहा कि ये दिखावा ठीक नहीं है. कोई भी लंबे समय तक अपनी हकीकत नहीं छुपा सकता. इससे पहल दो अक्टूबर को अशोक गहलोत ने पायलट पर हमला बोला था और कहा था कि कोई दुखी हो तो हो 15 साल मुझे कुछ नहीं होगा. अगली सरकार भी मेरी ही होगी.
इसके जबाब में 6 अक्टूबर को पायलट ने टोंक में गहलोत पर हमला बोला और कहा था कि ये घमंड और अंहकार ठीक नहीं. जनता कब उखाड़ फेंकेगी. दरअसल कांग्रेस पार्टी जानती है कि दोनों में समझौता या संघर्ष विराम कराना इतना आसान नहीं..लिहाजा उपचुनाव में जनता में एकता का संदेश देने के लिए पांच महीने बाद फिर अजय माकन दोनों को लेकर हेलिकॉप्टर में लेकर गए.
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