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25 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका, ससुर कभी थे IPS अफसर, जानें इनके बारे में

jantaserishta.com
31 March 2024 4:07 AM GMT
25 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका, ससुर कभी थे IPS अफसर, जानें इनके बारे में
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डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रही हैं।
नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने शनिवार को लोकसभा चुनाव के लिए अपने कोटे के सभी पांच सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। चिराग पासवान हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने इस चुनाव में जमुई सीट से अपने बहनोई अरुण भारती को मैदान में उतारा है। आपको बता दें कि इस सीट से चिराग पासवान दो बार सांसद रह चुके हैं।
बिहार में जेडीयू कोटे से मंत्री और नीतीश कुमार की कोर टीम में शामिल अशोक कुमार चौधरी की बेटी सांभवी चौधरी को समस्तीपुर सीट से मैदान में उतारने का निर्णय लिया गया है। आपको बता दें कि चिराग पासवान के चचेरे भाई यहां से सांसद हैं। उन्होंने अपने चाचा पशुपति के साथ मिलकर चराग पासवान के खिलाफ बगावत कर दिया था।
अशोक चौधरी की बेटी सांभवी महज 25 साल और नौ महीने की हैं। वह लोकसभा चुनाव लड़ने वाली सबसे कम उम्र की दलित महिला उम्मीदवार होंगी। उनके दादा महावीर चौधरी कांग्रेस से बिहार के पूर्व मंत्री थे। उनके पिता भी पहले कांग्रेस में थे। बाद में उन्होंने कुछ एमएलसी और विधायकों के साथ मिलकर नीतीश कुमार की पार्टी का दामन थाम लिया।
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सांभवी ने कहा,"मैं 25 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिए जाने के सम्मान से अभिभूत हूं। इससे मुझे बड़ी जिम्मेदारी का भी एहसास होता है खासकर मेरी राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण। मेरे पिता और दादा ने राजनीति में बेंचमार्क सेट किया है। मैं अपने ससुर आचार्य किशोर कुणाल के महान योगदान से भी परिचित हूं, जिन्होंने वर्षों पहले बिहार के मंदिरों में दलित पुजारियों को शामिल करके सामाजिक सुधार का बीड़ा उठाया था।''
सांभवी दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से समाजशास्त्र में पीजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद "बिहार की राजनीति में लिंग और जाति की अंतर्विरोधता" पर डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रही हैं। सांभवी ने लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। उनका विवाह पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल के बेटे सायन कुणाल से हुआ है। किशोर कुणाल को बिहार के मंदिरों में कई दलित पुजारियों को नियुक्त करने का श्रेय दिया जाता है।
आपको बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने किशोर कुणाल को विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता के लिए नियुक्त किया था। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में किशोर कुणाल की किताब 'अयोध्या रीविजिटेड' का भी जिक्र किया गया। आईपीएस की नौकरी से वीआरएस लेने के बाद वह 2001 में बिहार के दरभंगा स्थित केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति बने।
चिराग पासवान की पार्टी ने वीणा देवी को वैशाली से टिकट दिया है। पार्टी के पुराने पार्टी कार्यकर्ता और व्यवसायी से नेता बने राजेश वर्मा को खगड़िया से टिकट दिया गया है। भागलपुर के पूर्व डिप्टी मेयर राजेश वर्मा एक दशक से अधिक समय से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने 2020 का विधानसभा चुनाव एलजेपी से लड़ा था लेकिन हार गए।
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