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आईआईटी-मद्रास में विकसित ऑपरेटिंग सिस्टम 'भरोस' का परीक्षण सफल

Nilmani Pal
25 Jan 2023 1:06 AM GMT
आईआईटी-मद्रास में विकसित ऑपरेटिंग सिस्टम भरोस का परीक्षण सफल
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दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने रेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ यहां मंगलवार को आईआईटी-मद्रास द्वारा विकसित 'मेड इन इंडिया' मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम 'भरोस' का सफल परीक्षण किया।

प्रधान ने कहा कि देश के गरीब लोग एक मजबूत, स्वदेशी, भरोसेमंद और आत्मनिर्भर डिजिटल बुनियादी ढांचे के मुख्य लाभार्थी होंगे। उन्होंने आगे कहा कि पूरे सरकारी दृष्टिकोण के साथ नीति को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण का यह एक अनोखा प्रयोग है। उन्होंने कहा कि 'भरोस' डेटा गोपनीयता की दिशा में एक सफल कदम है। प्रधान ने आगे कहा कि भारत में निर्मित मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम 'भरोस' का सफल परीक्षण भारत में एक मजबूत, स्वदेशी और आत्मनिर्भर डिजिटल बुनियादी ढांचे के पीएम मोदी के दृष्टिकोण को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

आईआईटी-मद्रास इनक्यूबेटेड फर्म ने एक स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित किया है, जो भारत के 100 करोड़ मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं को लाभान्वित कर सकता है। 'भरोस' नामक सॉफ्टवेयर को कमर्शियल ऑफ-द-शेल्फ हैंडसेट पर इंस्टॉल किया जा सकता है। यह उपयोगकर्ता के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है और 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है। आईआईटी-मद्रास के निदेशक, प्रोफेसर वी. कामकोटि ने कहा : "भरोस सेवा एक मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसे भरोसे की नींव पर बनाया गया है। यह उपयोगकर्ता को अधिक स्वतंत्रता, नियंत्रण और लचीलापन देने पर ध्यान केंद्रित करता है, ताकि वे केवल उन ऐप्स को चुन सकें और उनका उपयोग कर सकें, जो वे चाहते हैं। उनकी जरूरतों के अनुरूप यह अभिनव प्रणाली उपयोगकर्ताओं को अपने मोबाइल उपकरणों पर सुरक्षा और गोपनीयता के बारे में सोचने के तरीके में क्रांति लाने का वादा करती है।"

उन्होंने कहा, "आईआईटी-मद्रास हमारे देश में भरोस के उपयोग और अपनाने को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य निजी उद्योग, सरकारी एजेंसियों, रणनीतिक एजेंसियों और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर काम करने की इच्छा रखता है।" भरोस में 'नो डिफॉल्ट एप्स' फीचर है। इसका अर्थ है कि उपयोगकर्ताओं को उन ऐप्स का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है, जिनसे वे परिचित नहीं हैं या जिस पर विश्वास नहीं कर सकते। इसके अलवा, यह दृष्टिकोण उपयोगकर्ता को उनके डिवाइस पर ऐप्स के लिए उपलब्ध अनुमतियों पर अधिक नियंत्रण रखने की अधिक स्वतंत्रता देता है, क्योंकि वे केवल उन ऐप्स को अनुमति देना चुन सकते हैं, जिनकी उन्हें अपने डिवाइस पर कुछ सुविधाओं या डेटा तक पहुंचने के लिए जरूरत होती है।

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