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ऑनलाइन गेमिंग की लत: 14 साल के लड़के ने छोड़ा घर, लेटर में लिखा- आप लोग गेम नहीं खेलने देते

jantaserishta.com
18 Dec 2021 3:49 PM GMT
ऑनलाइन गेमिंग की लत: 14 साल के लड़के ने छोड़ा घर, लेटर में लिखा- आप लोग गेम नहीं खेलने देते
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पाली: ऑनलाइन गेमिंग की लत में 14 साल का लड़का मां-बाप को छोड़ गुजरात के वलसाड़ से 684 KM दूर पाली भाग आया. गुरुवार शाम पॉइंटमेंन ने उसे रानी स्टेशन पर भटकते हुए देखा तो उसने रेल गाड़ी के बारे के पूछा.

शक होने पर पास बैठाकर पूरी जानकारी ली और स्टेशन मास्टर को पूरी जानकारी दी और उनके पास ले गया. प्यार से पूछताछ की तो उसने सारी कहानी बताई. लड़का घर से भागने से पहले वहां एक लेटर छोड़कर आया था. उसमें लिखा था कि आप मुझे फ्री फायर गेम नहीं खेलने देते. मेरी सुनते भी नहीं.
इधर, स्टेशन मास्टर ने जब लड़के से बातचीत की तो उसने अपने स्कूल का नाम बताया. स्टेशन मास्टर ने गूगल पर स्कूल का नाम सर्च किया. यहां प्रिंसिपल से बात की और परिजनों के मोबाइल नंबर लेकर वीडियो कॉल किया. स्टेशन मास्टर विनोद कुमार ने परिजनों को बताया कि वह रानी रेलवे स्टेशन पर है. इस पर शुक्रवार को उसके मां-बाप स्टेशन पहुंचे और बेटे अभिषेक यादव को घर ले गए.
जानकारी के अनुसार, गुरुवार शाम को एक 14 साल का लड़का रानी रेलवे स्टेशन पर बार-बार लोगों से पूछ रहा था कि ट्रेन कब आएगी. यह देख पॉइंट मैन किशनाराम उसे स्टेशन मास्टर के पास ले गया. उन्होंने प्यार से पूछा तो लड़के ने बताया कि पापा-मम्मी फ्री फायर नहीं खेलने देते थे. मोबाइल छीन लेते थे. इसलिए उनसे नाराज होकर घर छोड़ दिया. गूगल से जानकारी जुटाने के बाद अभिषेक के पिता भगवान यादव से बात की तो उन्हें भी तसल्ली हुई कि उनका बच्चा सुरक्षित है. मां-बाप के स्टेशन पर पहुंचने के बाद पता चला कि अभिषेक वलसाड़ गुजरात से 9 दिसंबर को ही गायब हो गया था. परिजनों ने थाने में गुमशुदगी भी दर्ज करवाई, लेकिन उसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया. अभिषेक के परिजनों ने गुजरात के वलसाड़ क्षेत्र में उसकी गुमशुदगी के पोस्टर लगाए थे.
घर छोड़ने से पहले बच्चे ने एक लेटर छोड़ आया था. लेटर में लिखा था, ''मैं घर छोड़ के जा रहा हूं. मुझे ढूंढना नहीं. मैं घर से 1 हजार रुपये लेकर जा रहा हूं. सॉरी मम्मी, पापा, दीदी और भाई. मुझे जाना होगा..क्योंकि तुम लोग मुझे फ्री फायर गेम नहीं खेलने देते. मेरी सुनते भी नहीं. इसलिए मैं घर छोड़ रहा हूं. मां तू रोना नहीं, मैं बहुत अच्छे से रहूंगा. मां तेरी बहुत याद आएगी. मां, पापा को बता देना मैं जा रहा हूं. SORRY...'' अभिषेक यह लेटर छोड़ घर से भाग आया था.
भगवान यादव ने बताया कि स्कूल से आते ही मोबाइल पर गेम खेलने लग जाता था. पढ़ाई नहीं करता था. खाने-पानी के लिए भी उसे कई बार कहना पड़ता. मोबाइल हाथ से लेते तो रोने लग जाता. मोबाइल पर गेम खेलने के चक्कर में कई बार तो अपने भाई-बहनों से झगड़ा करता. उसकी यह लत छुड़ाने के लिए मोबाइल से दूर रखना शुरू कर दिया. इससे नाराज वह घर छोड़कर यहां आ गया. इसको लेकर उन्होंने संबंधित थाने में गुमशुदगी रिपोर्ट दी. गांव व आस-पास के क्षेत्र में अभिषेक का फोटो लगाए, लेकिन कुछ जानकारी नहीं मिली. 16 दिसम्बर की शाम को अभिषेक के रानी रेलवे स्टेशन पर होने की जानकारी मिली तो जान में जान आई.
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