ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में स्थित तुस्याना में हुए भूमि घोटाले में एक कदम और बढ़ी जाँच
नॉएडा न्यूज़: नोएडा के बहुचर्चित तुस्याना भूमि घोटाले में जांच एक कदम और आगे बढ़ गई है। अब बड़े अफसरों की कुंडली को खंगालने का काम किया जाएगा। बड़े अफसरों की कुंडली खंगालने की तैयारी में शासन के आला अफसर जुट गए हैं। संभावना जताई जा रही है इस घोटाले में भाजपा के एमएलसी नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश भाटी का सहयोग करने वाले तमाम बड़े अफसरों पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
दरअसल, आपको बता दें कि एसआईटी ने जांच पूरी होने के बाद शासन को एक पत्र भेजा है। जिसके बाद तुस्याना भूमि घोटाले से जुड़े तमाम बड़े अफसरों के नामों की सूची शासन स्तर पर तैयार की जा रही है। प्रदेश सरकार ने तुस्याना भूमि घोटाले में शामिल प्रशासनिक और प्राधिकरण के अधिकारियों के नामों की सूची और तैनाती की जानकारी मांगी है। शासनादेश मिलने के बाद प्रशासन ने घोटाले में शामिल अफसरों की पहचान करने का काम शुरू कर दिया है। इस बाबत जल्द ही एक जिला स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा।
आपको बता दें कि तुस्याना गांव में सरकारी जमीन पर पट्टों का आवंटन किया गया था। इनमें काफी संख्या में अपात्र लोग शामिल थे। शासन से 200 एकड़ जमीन खरीदने की अनुमति लेकर टीपीएल नामक एक कंपनी ने पट्टों के साथ अन्य जमीन खरीद ली थी। जबकि जमीन खरीदी नहीं जा सकती थी। कंपनी ने टेक्नोलॉजी पार्क बनाने के लिए अनुमति ली थी, लेकिन बाद में जमीन पर प्लॉटिंग शुरू कर दी गई। जिसके बाद सरकार ने कंपनी को दी अनुमति वापस ले ली, लेकिन प्रशासन स्तर पर आदेश को दर्ज नहीं किया गया।
इस बीच ग्रेटर नोएडा के रसूखदार लोग सक्रिय हो गए। कंपनी के डायरेक्टर से एक गांव के पूर्व प्रधान ने पावर एटर्नी अपने नाम करा ली। पूर्व प्रधान और कंपनी के डायरेक्टर के परिवार के लोगों के नाम एक जैसे थे। इसका फायदा पूर्व प्रधान ने उठाया। कोर्ट के माध्यम से जमीन का मुआवजा उठाया गया। साथ ही प्राधिकरण से छह प्रतिशत कृषक भूखंड भी अच्छी लोकेशन पर हासिल कर ली।
घोटाला सामने आने के बाद सरकार ने राजस्व परिषद के चेयरमैन की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की। मामले की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। भूखंड के आवंटन में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ग्रेटर नोएडा के तत्कालीन मैनेजर व भाजपा एमएलसी नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश भाटी के साथ ही दीपक और कमल को गिरफ्तार कर लिया था।
उसके बाद से घोटाले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब सरकार ने घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों के बारे में जानकारी मांगी है। शासन के आदेश पर प्रशासन ने घोटाले में शामिल अफसरों की पहचान करने का काम शुरू कर दिया है।