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सचिन वाजे के खुलासे पर मंत्री अनिल परब ने कहा- सरकार को बदनाम करने की साजिश...

Gulabi
9 April 2021 12:59 PM GMT
सचिन वाजे के खुलासे पर मंत्री अनिल परब ने कहा- सरकार को बदनाम करने की साजिश...
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एंटीलिया मामले में फंसे पूर्व एपीआई सचिन वाज़े ने एनआईए को सौंपे गए

एंटीलिया मामले में फंसे पूर्व एपीआई सचिन वाज़े ने एनआईए को सौंपे गए अपने एक लिखित बयान में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री अनिल परब पर आरोप लगाते हुए कहा कि मंत्री ने उसे एसबीयूटी के ट्रस्टियों को बुलाने के लिए कहा था, ताकि उनसे 50 करोड़ की रकम ली जा सके. इस पर मंत्री अनिल परब ने साफ कहा कि इन सभी आरोपों से उनका कोई संबंध नहीं है और उन्हें यह भी पता नहीं है कि क्या एसबीयूटी के खिलाफ कोई जांच हुई थी. वाज़े के सब आरोप भाजपा की रणनीति का हिस्सा हैं.


अनिल परब ने कहा कि सचिन वाज़े ने एक पत्र दिया है. उस पत्र में उसने कहा है कि जून अगस्त 2020 में मैंने उसे फोन किया और एसबीयूटी के ट्रस्टियों को बुलाने और उनसे 50 करोड़ रुपये वसूल करने के लिए कहा. एक अन्य आरोप ये है कि मैंने उनसे 2 करोड़ रुपये लेने के लिए कहा था. लेकिन वाज़े ने ये क्यों नहीं बताया कि पिछले साल जून में क्या हुआ था.

परब ने कहा कि कमिश्नर ने अपने लैटर में ये सब नहीं लिखा. जब जांच के लिए सीबीआई आ गई तो वो अब क्यों बोल रहा है? यह साफ है कि वाज़े को कुछ करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. वे जोर-जोर से चिल्ला रहे हैं कि सरकार के ज्यादा से ज्यादा विकेट गिरने वाले हैं.

मंत्री अनिल परब ने कहा कि वे नार्को टेस्ट के लिए भी तैयार हैं, लेकिन यह मानहानि बंद होनी चाहिए. उनका कहना है कि यह पत्र सरकार को बदनाम करने के लिए लिखा गया है. वाज़े पहले से हिरासत में रहा है. उसने अब तक कोई शिकायत नहीं की थी, लेकिन जब से वो एनआईए की हिरासत में आया तो सरकार में शामिल लोगों के झूठे नाम लेने लगा.

परब का कहना है कि हमने कभी इस बात से इंकार नहीं किया कि वाज़े शिवसेना से जुड़ा नहीं थी या प्रदीप शर्मा शिवसेना के उम्मीदवार थे. लेकिन पार्टी ने कभी किसी से ऐसी बातें करने के लिए नहीं कहा है.

गौरतलब है कि सचिन वाज़े के लैटर के आधार ये आरोप भी सामने आए हैं कि 2020 में उन्हें बहाल किए जाने के बाद तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने उन्हें बताया था कि शरद पवार चाहते थे कि उनकी बहाली रद्द कर दी जाए. गृह मंत्री ने मुझे यह भी बताया था कि वो पवार साहब को मना लेंगे और उन्होंने मुझसे इस काम के लिए दो करोड़ रुपये की मांग की थी. लेकिन इतनी बड़ी रकम का भुगतान करने में मैंने असमर्थता जताई थी. इस पर गृह मंत्री ने मुझे बाद में भुगतान करने के लिए कहा था.

जबकि परब के बारे में वाज़े के हवाले से बताया गया है "जुलाई-अगस्त 2020 में मुझे मंत्री अनिल परब ने उनके सरकारी बंगले में बुलाया था. यह वही सप्ताह था जब 3-4 दिनों में डीसीपी के आंतरिक तबादलों में फेरबदल होना था. बैठक में, परब ने मुझे प्रारंभिक जांच के तहत शिकायत को देखने और जांच के लिए कहा था. साथ ही बातचीत के लिए SBUT के ट्रस्टियों को उनके पास लाने के लिए कहा था.''


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