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बैकुंठ चतुर्दशी की मध्य रात्रि मंदिर के खोले पट ,सृष्टि की सत्ता सौंपने के लोगो को हुए अद्भुत दर्शन

jantaserishta.com
28 Nov 2023 5:29 AM GMT
बैकुंठ चतुर्दशी की मध्य रात्रि मंदिर के खोले पट ,सृष्टि की सत्ता सौंपने के लोगो को हुए अद्भुत दर्शन
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मध्य प्रदेश के दमोह के बांदकपुर में तारामंडल तीर्थंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में पहचाने जाने वाले भगवान जागेश्वर नाथ धाम मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी की मध्य रात्रि मंदिर के पट खोले गए। भगवान जागेश्वर नाथ ने सृष्टि का भार भगवान विष्णु को दिया जिसे देखने के लिए हजारों लोग मंदिर में मौजूद रहे।

बैकुंठ चतुर्दशी पर सृष्टि की शक्ति स्थानान्तरण का लौकिक युग में अलौकिक दृश्य देखने को मिला। रात करीब 12 बजे भगवान जागेश्वर नाथ के कपाट खुले। भगवान जागेश्वर नाथ की पूजा आरती के बाद सृष्टि का भार भगवान विष्णु को दिया गया। यह पारंपरिक हरि यानि भगवान विष्णु की मूर्ति हर यानि स्वयंभू दिव्य लिंग जागेश्वर नाथ महादेव के सम्मुख स्थापित है। इसे हरि-हर मिलन भी कहते हैं।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवशयनी ब्रह्माण्ड से देवउठनी ब्रह्माण्ड तक जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु राजा बलि के यहाँ पाताल लोक में विश्राम करने जाते हैं। इसलिए चार महीने तक संपूर्ण सृष्टि का पालन भगवान शिव के पास होता है।

जागेश्वर नाथ महादेव मंदिर बांदकपुर के प्रबंधक राम कृपाल पाठक ने बताया कि जागेश्वर नाथ महादेव मंदिर में कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी अर्थात बैकुंठ चतुर्दशी भगवान विष्णु हरि और शिवजी हर के मिलन का प्रतीक हैं। मंदिर के गर्भगृह में रात 12 बजे यहां स्वयंभू दिव्य लिंग भगवान शिवजी भगवान विष्णु जी की प्रतिमा प्रकट होती है और हरि-हर मिलन के प्रतीक के रूप में इस परंपरा का खंडन किया जाता है। मंदिर में विधि से की जाती है पूजा। शिवजी के प्रिय बिल्वपत्र और अकाउआ भगवान विष्णु दोनों के प्रिय ग्रंथ का एक-दूसरे को भोग लगाया जाता है। सिद्धांत है कि भगवान शिव चार महीने के लिए तपस्या करने चले जाते हैं। यह परम्परा वैष्णव एवं शैव के समन्वय एवं सम्प्रदाय का प्रतीक है एवं हरि से हर का मिलन कहलाती है।

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