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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काली विवाद पर सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन यह जरूर कहा कि मां काली का आशीर्वाद पूरे देश के साथ है
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काली विवाद पर सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन यह जरूर कहा कि मां काली का आशीर्वाद पूरे देश के साथ है. उन्होंने कहा कि मां काली का असीमित, असीम आशीर्वाद हमेशा भारत के साथ है. भारत इसी आध्यात्मिक ऊर्जा को लेकर आज विश्व कल्याण की भावना से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस, एक ऐसे संत थे जिन्होंने मां काली का स्पष्ट साक्षात्कार किया था, जिन्होंने मां काली के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था. वो कहते थे- ये सम्पूर्ण जगत, ये चर-अचर, सब कुछ मां की चेतना से व्याप्त है. यही चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है.
उक्त बातें पीएम मोदी ने रविवार को स्वामी आत्मस्थानानंद के शताब्दी समारोह के संबोधन के दौरान कही. उन्होंने कहा कि सैकड़ों साल पहले आदि शंकराचार्य हों या आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद, हमारी संत परंपरा हमेशा 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का उद्घोष करती रही है. रामकृष्ण मिशन की तो स्थापना 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के विचार से जुड़ी हुई है. हमारे देश में संन्यास की महान परंपरा रही है. वानप्रस्थ आश्रम भी संन्यास की दिशा में एक कदम माना गया है. संन्यास का अर्थ ही है स्वयं से ऊपर ऊठकर समष्टि के लिए कार्य करना और जीना है. संन्यासी के लिए जीव सेवा में प्रभु सेवा को देखना होता है.
सूरत की सफलता देश के लिए उदाहरण : पीएम नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्राकृतिक खेती सम्मेलन के भी हिस्सा लिया. उन्होंने कहा, 'हर ग्राम पंचायत में 75 किसानों को इससे जुड़ने के मिशन में सूरत की सफलता देश के लिए उदाहरण होगी. भारत का कृषि इतना कुछ कर सकता है, तो हम 130 करोड़ देशवासी सामूहिक संकल्पों से कौन सा लक्ष्य है जो पूरा नहीं कर सकते. लोगों को विश्वास नहीं होता था कि भारत में स्वच्छ भारत मिशन को सफल नहीं बनाया जा सकता लेकिन देश वासियों ने संकल्प किया और परिणाम दुनिया देख रही है.' इस मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद रहे.
पीएम ने कहा कि डिजिटल भारत के लिए कहा जाता था कि यह टेक्नॉलोजी भारत के लिए नहीं है, लेकिन आज वही भारत इस क्षेत्र में वर्ल्ड लीडर बनकर उभरा है. 2 साल पहले लोग भारत के 100 फीसदी वैक्सीनेशन आंकड़े को छूने की 5 से 10 साल की गणना करते थे लेकिन आज हम डेढ़ साल में 200 करोड़ वैक्सीनेशन के करीब पहुंचे हैं.
उन्होंने कहा कि आज़ादी के 75 साल के निमित्त, देश ने ऐसे अनेक लक्ष्यों पर काम करना शुरू किया है, जो आने वाले समय में बड़े बदलावों का आधार बनेंगे. अमृतकाल में देश की गति-प्रगति का आधार सबका प्रयास की वो भावना है, जो हमारी इस विकास यात्रा का नेतृत्व कर रही है. सूरत में हर गांव पंचायत में 75 किसानों का चयन करने के लिए ग्राम समिति, तालुका समिति और ज़िला समिति बनाई गई. इस दौरान ट्रेनिंग, प्रोग्राम और वर्कशॉप का आयोजन किया गया है. इतने कम समय में 550 से भी ज़्यादा पंचायतों से 40,000 से ज़्यादा किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं.
डिजिटल इंडिया मिशन की असाधारण सफलता भी उन लोगों को देश का जवाब है जो कहते थे गांव में बदलाव लाना आसान नहीं है. हमारे गांवों ने दिखा दिया है कि गांव न केवल बदलाव ला सकते हैं, बल्कि बदलाव का नेतृत्व भी कर सकते हैं. आज पूरी दुनिया सतत जीवन शैली की बात कर रही है, शुद्ध जीवन शैली की बात कर रही है, यह एक क्षेत्र है जिधर भारत के पास हजारों सालों का ज्ञान और अनुभव है. हमने सदियों तक इस दिशा में विश्व का नेतृत्व किया है.
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए आज देश में गंगा के किनारे अलग से अभियान चलाया जा रहा है, कॉरिडोर बनाया जा रहा है. प्राकृतिक खेती की उपजों की बाज़ार में अलग से मांग होती है और उसकी कीमत भी ज़्यादा मिलती है. इस योजना के तहत 30,000 कल्सटर बनाए गए हैं। देश की करीब 10 लाख हेक्टेयर ज़मीन कवर की जाएगी. हमने प्राकृतिक खेती के सांस्कृतिक, सामाजिक और इकोलॉजी से जुड़े प्रभावों को देखते हुए इसे नमामी गंगे परियोजना से भी जोड़ा है.
Rani Sahu
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