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बैलों की मौत पर मालिक ने गांव वालों को खिलाया खाना, श्रृद्धांजलि सभा का भी किया आयोजन

Nilmani Pal
2 Feb 2022 3:07 AM GMT
बैलों की मौत पर मालिक ने गांव वालों को खिलाया खाना, श्रृद्धांजलि सभा का भी किया आयोजन
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MP NEWS : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शाजापुर (Shajapur) जिले के ग्राम मदाना के किसान जगदीश सिसोदिया ने अपने दोनों बैलों की मौत होने पर नगर भोज का कार्यक्रम आयोजित किया. उक्त आयोजन हिंदू रीति रिवाज से किया गया. गाँव के साथ-साथ आसपास के लोगों को भी बुलाया गया और श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन कर पगड़ी रस्म की गई. किसान जगदीश के यहाँ राम और श्याम नाम के दो बैलों की जोड़ी थी. दोनों बैल तीस सालों से किसान के साथ खेती कार्य में मदद करते थे. दोनों बैलों ने किसान का साथ बेटों की तरह दिया. राम की मौत तीन साल पहले हो गई और श्याम की मौत बीती पूर्णिमा के दिन हुई. श्याम की मौत होने के बाद किसान ने उसके 16 वें के कार्यक्रम का निर्णय लिया और हिन्दू रीति रिवाज से पूरा कार्यक्रम किया. पहले अंतिम संस्कार किया और 11 वें के दिन उज्जैन जाकर तर्पण किया और आज नगर भोज का आयोजन रखा.

सुबह 8 बजे से भगवान गरुड़ जी की कथा का आयोजन किया गया. उसके बाद श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें ग्राम मदाना सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोगों ने बैल नंदी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की. उसके बाद पगड़ी रस्म हुई. पगड़ी रस्म के बाद लोगों ने भोजन प्रसादी ली. इस कार्यक्रम में चार हजार से अधिक लोगों ने खाना खाया. आठ क्विंटल आटा और दो क्विंटल शक्कर के अलावा बेसन, तेल और अन्य सामग्री का उपयोग हुआ. खाने में नुक्ती, सेव, पूड़ी और कढ़ी बनाई गई. एक दिन पहले रात्रि में खाटू श्याम की भजन संध्या का आयोजन किया गया और बाहर से आने वाले मेहमानों के लिए सब्जी पूड़ी का खाना रखा गया.

कार्यक्रम के दौरान बैल मालिक जगदीश सिसोदिया ने बैलों की स्मृति में ग्यारह हज़ार रुपये की राशि गांव के चमत्कारी मवडी वाले देव दरबार में निर्माण कार्य में दी और श्री महाकाली कामधेनु गौशाला में भी पांच हजार रुपये की राशि दान दी. किसान जगदीश सिसोदिया ने बताया मेरे परिवार में पांच बेटियां और एक बेटा है. बच्चे अभी छोटे है. मेरे पास दस बीघा जमीन है और पूरी खेती का काम किसान राम और श्याम के साथ ही करता था. खेत में बोवनी, निंदाई और जुताई बैल ही करते थे. उपज बेचने के लिए भी बैलगाड़ी में राम श्याम को जोत कर ले जाता था. खेती में ट्रैक्टर का उपयोग ही नहीं किया.

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