कहते हैं, कई बार पशु व पक्षियों से इतना अधिक लगाव हो जाता है, जिनता इंसान से. इतिहास में ऐसे खूब उदहारण मिलते हैं. ऐसा ही एक मामला सोनीपत (Sonipat) के सोहटी गांव में सामने आया है. भैंस की जब उम्र पूरी होने लगी तो खुशी में उसके जीते ही ग्रामीणों को दावत देना चाहता था. लेकिन भैंस का निधन (Buffalo Death) हो गया. जिसके बाद पशुपालक जयभगवान ने सोहटी गांव में वाटिका बुक की. सोहटी के साथ साथ आसपास के विभिन्न गांवों को भी दावत दी. वाटिका में बच्चे, महिलाऐं, जवान एवं बुजुर्ग सभी को बुलाया गया. पंचायती तौर पर सभी को निमंत्रण दिया गया.
सोनीपत जिला से सोहटी गांव में जयभगवान उर्फ लीलू का अपनी भैंस के साथ इतना अधिक लगाव हो गया कि वह भैंस को परिवार का सदस्य ही मानने लगा. लेकिन हर पशु के जीवन की समय सीमा होती है. करीब 17 दिन पहले उसकी इस भैंस की मौत हो गई. भैंस का नाम भिंडी रखा हुआ था. बताया जाता है कि इस भैंस के भिंडी की तरह आकर्षक एवं सुंदर सींग थे. जयभगवान का कहना है कि उसके भाई की रिश्तेदारी लोवा माजरा से इस भैंस की मां को लेकर आए थे. तो जब कटिया की जन्म हुआ तो कटिया उन्होंने पाली. जो तब से अब तक करीब 22-23 वर्ष से इस भैंस को पाले हुए हैं. जयभगवान का बड़ा परिवार है, जब भी परिवार की कुशल क्षेम की बात होती तो इस भैंस का भी हालचाल पूछते थे. भैंस का जब अंतिम समय आया तो जयभगवान व उनकी पत्नी पिंकी को बहुत दुख हुआ, दोनों ने भैंस की खूब सेवा की.
जब भैंस का निधन हुआ तो अपने घर में भैंस को दबाकर अंतिम विदाई दी गई. मंगलवार को सत्रहवीं के अवसर पर गांव में जलेबी व सब्जी पूरी का भंडारा किया गया. गांव निवासी अजय का कहना है कि वे अब 21 वर्ष के हैं, लेकिन उनकी ये भैंस उस समय कटिया थी, जो उनसे कुछेक साल ही बड़ी है. इस भैंस ने अधिकतम 22 लिटर दूध दिया है. इस भैंस ने अधिकतर कटियां दी है, जो गांव के कई परिवारों में हैं, जो अपनी मां भिंडी पर ही गई है. गांवा वासियों को आशा है कि इसी तरह से इनका भी इतिहास होगा.