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हड़ताल को 50 दिन पूरे होने पर आशा वर्करों ने निकाला मशाल जुलूस

Shantanu Roy
28 Sep 2023 11:30 AM GMT
हड़ताल को 50 दिन पूरे होने पर आशा वर्करों ने निकाला मशाल जुलूस
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जींद। हड़ताल को 50 दिन पूरे होने पर आशा वर्करों ने Wednesday को पटियाला चौक से रुपया चौक तक मशाल जुलूस निकाला. इसमें जींद शहर की आशा वर्करों सहित अमरहेड़ी, अहिरका, कैरखेड़ी, रूपगढ़, कंडेला आदि गांवों की आशा वर्कर भी शामिल हुई। आशा वर्करों ने अपनी हड़ताल को 10 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है। अगर 29 सितंबर की बातचीत में आशा वर्करों की मांगों का समाधान नहीं हुआ तो जेल भरो आंदोलन कि तरह आगे के कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। आशा वर्करों के कार्यक्रम की अध्यक्षता कंडेला पीएचसी प्रधान नेहा ने की।
उन्होंने कहा कि केंद्र व प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाली गठजोड़ सरकारों की पूंजीवाद परस्त नीतियों के कारण तमाम मेहनत करने वाले लोगों के जीवन में चौतरफा संकट पैदा हो गया है। स्कीम वर्करों सहित कच्चे कर्मचारियों को न तो पक्का कर रही और ना ही न्यूनतम वेतन 26 हजार दे रही है। ऊपर से श्रम कानूनों में बदलाव करके मेहनतकश तबकों का भारी शोषण किया जा रहा है। प्रदेशभर की आशा वर्कर अपनी जायज मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं।आशा वर्कर 2005 से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं व जनता के बीच कड़ी का काम कर रही हैं।
आशा वर्करों ने कोरोना महामारी (Epidemic) में किए गए काम की वजह से World Health Organization ने भी आशा वर्कर्स को ग्लोबल हेल्थ लीडर्स का अवार्ड दिया था। इसके बावजूद सरकार उनके बुनियादी कामों के अतिरिक्त रोज नए-नए काम आशा वर्कर्स पर थौंप रही है। काम बढ़ाने के बाद भी सरकार आशा वर्करों के मानदेय में कोई बढ़ोत्तरी नहीं कर रही और सिर्फ चार हजा रुपये मासिक मानदेय ही आशा वर्करों को दिया जा रहा है। अब उनकी हड़ताल 29 सितंबर की बातचीत पर निर्भर करती है। अगर सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो आगे का जो भी निर्णय राज्य कमेटी का होगा, उस पर आगे बढा दिया जाएगा।
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