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Omicron: भारत में तीसरी लहर की आहट? एक मरीज कर सकता है 18-20 लोगों को संक्रमित
jantaserishta.com
25 Dec 2021 3:32 AM GMT
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मेदांता अस्पताल के संस्थापक डॉ. नरेश त्रेहन (Dr Naresh Trehan) ने कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) को लेकर कई अहम जानकारियां दी हैं.
नई दिल्ली: देश के मशहूर डॉक्टर और मेदांता अस्पताल के संस्थापक डॉ. नरेश त्रेहन (Dr Naresh Trehan) ने कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) को लेकर कई अहम जानकारियां दी हैं. उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन से संक्रमित एक व्यक्ति 18 से 20 लोगों को कोरोना पॉजिटिव कर सकता है. इसके पीछे डॉक्टर त्रेहान ने कारण बताया कि ओमिक्रॉन की आर नॉट वैल्यू अन्य वैरिएंट की तुलना में कहीं ज्यादा है, इसलिए यह सुपर स्प्रेडर है.
डॉ. त्रेहन ने विस्तार से बताया कि वायरस के वैरिएंट का 'आर नॉट फैक्टर' यह बताता है कि यदि यह बीमारी एक व्यक्ति को होती है, तो आगे और कितने लोग इससे संक्रमित हो सकते हैं.
सबसे पहले एल्फा वेरिएंट आया था, उसका आर नॉट फैक्टर 2.5 था. यानी वह इंफेक्टेड व्यक्ति से फैलकर 2 से 3 लोगों को संक्रमित करेगा.
दूसरा वैरिएंट डेल्टा था, जिसमें हर दिन करीब 4 लाख मामले देखे गए. उसका आर नॉट फैक्टर था 6.5 था. यानी वह एक व्यक्ति से 6-7 लोगों को संक्रमित करता है.
अब जो नया वैरिएंट ऑफ कंसर्न omicron आया है, उसका आर नॉट फैक्टर इन सबसे तीन गुना ज्यादा है. मतलब करीब 18-20 प्रतिशत. ओमिक्रॉन एक संक्रमित व्यक्ति से 20 लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता है, इसलिए इसे सुपर स्प्रेडर कहते हैं.
सबसे बड़े चैलेंज
मेदांता मेडिसिटी के एमडी के मुताबिक, हमारे सामने 2 बड़े चैलेंज हैं- पहला तो यह कि बच्चों को अभी तक वैक्सीन नहीं लगी है, और दूसरा यह कि 50% आबादी का अभी भी टीकाकरण नहीं हो पाया है. और तीसरा फैक्टर यह है कि वैक्सीन से लोगों में आई हुई इम्यूनिटी भी अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है.
बूस्टर डोज
इन्हीं सब कारणों से बूस्टर लगवाना आवश्यक है. जरूरी है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स को सबसे पहले बूस्टर डोज लगाया जाए, क्योंकि इन लोगों को ही जंग के लिए तैयारी करनी है. जैसे ही वैक्सीन की उपलब्धि होती है, वैसे ही बूस्टर डोज देना शुरू कर देना चाहिए.
रोज जीनोम सीक्वेंसिग कैसे होगी?
डॉक्टर ने बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग किया जाना एक बहुत बड़ी चुनौती है. हर एक व्यक्ति जो विदेश से आया है, उनके सैंपल का जीनोम सीक्वेंसिंग किया जाना बेहद जरूरी है. लेकिन जिनोम सीक्वेंसिंग में करीब 1 हफ्ते का समय लगता है, इसलिए जरूरी है कि हम नई टेक्नोलॉजी विकसित करें. और साथ ही साथ हॉटस्पॉट्स की रियल टाइम मॉनिटरिंग हो.
नए साल के जश्न में नहीं भूले Covid प्रोटोकॉल
उन्होंने सावधान रहने की सलाह देते हुए कहा कि वैक्सीन की आड़ में अपने आप को सुरक्षित नहीं समझ सकते. जाहिर-सी बात है कि आने वाले नए साल के लिए कई तरह की पार्टियों का आयोजन किया जाएगा, लेकिन जरूरी है कि हम बेसिक प्रोटोकॉल का पालन जरूर करें. जैसे हमने दूसरी लहर के दौरान एक जंग लड़ी थी, ठीक उसी तरह से तीसरी लहर से भी सतर्क और सावधान रहना है.
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