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शपथ पर लगा ग्रहण: चुनाव जीतकर भी शपथ नहीं ले पा रहे TMC विधायक बाबुल सुप्रियो
jantaserishta.com
5 May 2022 8:28 AM GMT
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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के विधायक बाबुल सुप्रियो इस वक्त मंझधार में फंसे हैं. उन्होंने बालीगंज विधानसभा से विधायक का चुनाव भले ही जीत लिया हो लेकिन उनका विधायक पद का शपथग्रहण अभी तक नहीं हुआ है. विधायक बनने के बाद आसनसोल से उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म हो चुकी है. बता दें कि बालीगंज सीट पर 12 अप्रैल को उपचुनाव हुआ था और 16 अप्रैल को इसके नतीजे घोषित हुए थे.
बता दें कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा है कि बाबुल सुप्रियो के शपथ से जुड़ा उनका संवैधानिक दायित्व खत्म हो गया है क्योंकि उन्होंने इस काम के लिए डिप्टी स्पीकर आशीष बनर्जी को नॉमिनेट कर दिया है.
लेकिन आशीष बनर्जी ने शपथ ग्रहण करवाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि ये जिम्मेदारी स्पीकर बिमान बनर्जी को दी जानी चाहिए.
हल्दिया में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा था कि स्थितियों को देखते हुए मैंने इस काम के लिए डिप्टी स्पीकर को नॉमिनेट किया है. इसके अलावा उन्होंने कहा था कि अब इस मामले से जहां तक मेरा संबंध है मेरा संवैधानिक काम खत्म हो चुका है.
बता दें कि चुनाव में जीत का प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद एक उम्मीदवार को विधायक माना जाता है लेकिन जब तक उसे विधानसभा की सदस्यता न दिलाई जाए वो सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकता है.
इसी वजह से बाबुल सुप्रियो के पास अजीब स्थिति पैदा हो गई है. विधायक का चुनाव जीतने के बाद वे आसनसोल से सांसद नहीं रह गए हैं. लेकिन वे विधायक होते हुए भी सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो पा रहे हैं.
टीएमसी विधायक बाबुल सुप्रियो ने राज्यपाल पर आरोप लगाया है कि वे जान बूझकर एक परंपरा के खिलाफ जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह एक परंपरा थी कि एक विधायक को राज्यपाल या स्पीकर द्वारा शपथ दिलाई जाती है. बता दें कि बाबुल सुप्रियो नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे हैं. बंगाल चुनाव में बीजेपी की हार के बाद केंद्रीय कैबिनेट के पुनर्गठन में बाबुल सुप्रियो को कैबिनेट से बाहर कर दिया गया. इसके बाद बाबुल सुप्रियो ने पहले तो राजनीति को अलविदा कहने की बात कही और लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी. लेकिन बाद में वे ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. ममता ने उन्हें बालीगंज विधानसभा उपचुनाव में इस सीट से उतारा. बालीगंज विधानसभा सीट टीएमसी विधायक सुब्रतो मुखर्जी के निधन से खाली हुई थी.
पिछले सप्ताह भी बाबुल सुप्रियो और राज्यपाल धनखड़ के बीच शपथ ग्रहण को लेकर ट्विटर पर तकरार हुआ था. तब बाबुल सुप्रियो ने कहा था कि बालीगंज के लोगों के लिए मैं राज्यपाल महोदय से अनुरोध करता हूं कि वे अपने निर्णय को बदले और स्पीकर को शपथ ग्रहण कराने की अनुमति दें ताकि मैं अपना काम शुरू कर सकूं. उन्होंने कहा था जब से सुब्रतो मुखर्जी के बाद से ही इस इलाके को जनप्रितिनिधित्व नहीं मिला है.
बाबुल सुप्रियो के इस ट्वीट के जवाब में राजभवन ने जवाब में एक बयान जारी कर कहा कि बाबुल सुप्रियो द्वारा सार्वजनिक रूप से ये मांग करना कि शपथ ग्रहण के लिए स्पीकर को अधिकृत किया जाए स्वीकार्य नहीं है क्योंकि वह इस काम के लिए डिप्टी स्पीकर को नामित कर चुके हैं.
बता दें कि डिप्टी स्पीकर आशीष बनर्जी का कहना है कि अगर स्पीकर होते हुए भी वे बतौर डिप्टी स्पीकर बाबुल सुप्रियो को विधानसभा की सदस्यता दिलाते हैं तो ये स्पीकर के पद का अपमान होगा.
राज्यपाल धनखड़ ने यह भी कहा कि विधायक चुने जाने के 11 दिन बाद बाबुल सुप्रियो ने 27 अप्रैल को शपथ ग्रहण समारोह पर चर्चा करने के लिए स्पीकर बिमान बनर्जी से मुलाकात की थी, जबकि संविधान के अनुसार इस मामले में स्पीकर का न कोई रोल है और न ही संवैधानिक योग्यता, जब तक कि राज्यपाल उन्हें ऐसा करने के लिए निर्देशित न करें.
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