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रेलवे स्टेशनों पर ओएसओपी आउटलेट्स की संख्या बढ़कर 1,854 हुई, महिला कारीगरों को मिल रहा फायदा

jantaserishta.com
16 Dec 2024 9:27 AM GMT
रेलवे स्टेशनों पर ओएसओपी आउटलेट्स की संख्या बढ़कर 1,854 हुई, महिला कारीगरों को मिल रहा फायदा
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मुंबई: केंद्र सरकार ने वन स्टेशन वन प्रोडक्ट (ओएसओपी) स्कीम का विस्तार देश भर के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर कर दिया गया है और इसके तहत 1,854 आउटलेट्स पर विभिन्न स्थानीय उत्पादों को बेचा जा रहा है। इस स्कीम का उद्देश्य महिला कारीगरों को सशक्त बनाना है। भुसावल मंडल के रेल प्रबंधक, इति पांडे ने कहा कि अकेले सेंट्रल रेलवे में इन आउटलेट्स में से 157 हैं। सेंट्रल रेलवे में भुसावल मंडल में 25 से ज्यादा ओएसओपी आउटलेट्स हैं और सभी स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं।
पांडे ने आगे कहा कि महिला उद्यमी भुसावल और जलगांव में पैठणी साड़ियों और पर्स से लेकर पैक्ड रोस्टेड उत्पादों और अकोला में बांस क्राफ्ट जैसे स्थानीय उत्पादों की ब्रिकी ओएसओपी स्कीम के जरिए कर रही हैं।
मार्च 2022 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की गई ‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ पहल स्थानीय लोगों को स्वदेशी उत्पाद बेचने के लिए विशिष्ट रूप से डिजाइन किए गए बिक्री आउटलेट प्रदान करती है। इसमें स्थानीय निर्माताओं से प्राप्त वस्तुओं की बिक्री की जाती है और प्रचार के लिए चुने गए रेलवे स्टेशनों पर ये स्टॉल लगाए जाते हैं।
निम्न आय वर्ग की महिलाएं इन उद्यमों का नेतृत्व कर रही हैं। ये आउटलेट लाभदायक प्लेटफॉर्म बन रहे हैं जो समुदाय की अन्य महिलाओं को प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, नासिक रोड स्टेशन पर रेणुका महिला उद्योग सहकारी संस्थान, जिसमें 1,000 महिला सदस्य हैं, विधवाओं और झुग्गी-झोपड़ियों की महिलाओं को सशक्त बनाकर स्थानीय अर्थव्यवस्था में सक्रिय रूप से योगदान दे रही है। इसी तरह भुसावल में उत्कर्ष स्वयं सहायता महिला बचत गत ने ब्याज-मुक्त ऋण द्वारा समर्थित पैक किए गए रोस्टेड प्रोडक्ट्स का उद्यम शुरू किया है। इस योजना के तहत चुने गए उत्पाद स्थानीय होते हैं और इसमें कारीगरों, बुनकरों और महिला स्वयं सहायता समूहों सहित समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों की भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है।
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