अब ये दो बैंक मुसीबत में, आपका भी है खाता तो हो जाए सावधान!
दक्षिण भारत के लक्ष्मी विलास बैंक और महाराष्ट्र के मंता अर्बन कोऑपरेटिव बैंक भी अब मुसीबत में हैं. इसके साथ ही तमाम लोगों में बैंक में जमा अपने पैसे को लेकर चिंता बढ़ गयी है. आइये जानते हैं कि किसी बैंक में आपका रखा कितना पैसा सुरक्षित है, यानी बैंक डूबने पर आपको कितनी रकम मिल सकती है?
गौरतलब है कि लक्ष्मी विलास बैंक की वित्तीय स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लक्ष्मी विलास बैंक से निकासी पर अंकुश लगाते हुए कहा है कि उसके खाताधारक 16 दिसंबर तक अपने खातों से 25,000 रुपये से अधिक की निकासी नहीं कर पाएंगे. इसके एक दूसरे बैंक DBS Bank India में विलय का भी निर्णय लिया गया है. इसके अलावा महाराष्ट्र के जालना जिले में मंता अर्बन कोऑपरेटिव बैंक से निकासी पर भी रोक लगी है.
इसके पहले येस बैंक और पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (PMC) बैंक के परेशानी में पड़ने की वजह से भी ऐसी रोक लगायी गयी थी. इन घटनाओं को देखते हुए दूसरे बैंकों के ग्राहकों में भी चिंता काफी बढ़ जाती है.
रिजर्व बैंक की सख्त निगरानी में होते हैं बैंक
देश के सभी बैंक, चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र के हों या निजी क्षेत्र के, सीधे आरबीआइ की निगरानी और नियमन से चलते हैं. केंद्र सरकार ने सहकारी बैंकों को भी अब रिजर्व बैंक के नियंत्रण के दायरे में ला दिया है. पहले इन पर राज्यों की सहकारी समितियों का नियंत्रण होता था.
इस तरह सभी कॉमर्शियल बैंकों जैसे पब्लिक सेक्टर के बैंक, छोटे वित्तीय बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक आदि के लिए नियम-कायदे समान हैं. उन पर कई तरह के अंकुश लगाये गये हैं. जैसे अभी तक की दरों के लिहाज से देखें तो हर बैंक को अपनी पूरी जमा का 3 फीसदी नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) और 18 फीसदी वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) के रूप में रिजर्व बैंक के पास रखना होता है.
यानी वे पूरी जमा रकम को लोन आदि के रूप में वितरित नहीं कर सकते. इसी तरह बैंकों को अपने बहीखाते में करीब 9 फीसदी का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) रखना होता है. यही नहीं, इस बात पर जोर दिया जाता है कि बड़े बैंक कम से कम 12 फीसदी का सीएआर रखें. ये सभी उपाय विपरीत हालत से बैंकों को निपटने और ग्राहकों को विपत्ति की स्थिति में सुरक्षा देने के लिए किये गये हैं.
सभी बैंकों को आरबीआई की सुरक्षा
इस तरह चाहे पब्लिक सेक्टर के बैंक हों या निजी बैंक सबका आरबीआई ध्यान रखता है. कोई भी बैंक यदि विफल होता लगता है तो तत्काल रिजर्व बैंक उसे संभालने की कोशिश में लग जाता है. येस बैंक, ग्लोबल ट्रस्ट बैंक और पीएमसी के मामले में हमने ऐसा देखा है.
किस तरह के बैंकों से बचें?
वैसे तो ग्राहक को यह पता नहीं चल सकता कि कब कोई बैंक विफल होने की ओर बढ़ रहा है. इसकी एक वजह यह भी है कि भारत में ऐसे उदाहरण कम ही देखे गये हैं कि कोई बैंक विफलता की वजह से बंद हुआ हो. सभी मुश्किल वाले बैंकों को आरबीआई किसी न किसी तरह से बचा लेता है. लेकिन अगर आपको सतर्क रहना है तो ऐसे बैंकों में पैसा जमा करने से बच सकते हैं जिनका एनपीए बहुत ज्यादा हो और पूंजी पर्याप्तता अनुपात बेहद कम हो. एक उपाय भी हो सकता है कि आप दो-तीन बैंकों के खातों में अपनी जमापूंजी रखें.
कितना पैसा वापस मिलेगा?
किसी बैंक के विफल होने पर 5 लाख रुपये तक की जमा राशि का बीमा कवर होता है. पहले यह सिर्फ 1 लाख था, लेकिन इस साल फरवरी में मोदी सरकार ने इसे बढ़ाकर 5 लाख किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल का बजट पेश करते समय इसका ऐलान किया था. इस बीमा का मतलब यह है कि आप की बैंक में जमा राशि चाहे जितनी ही क्यों न हो आपको वापस सिर्फ 5 लाख रुपये ही मिलेंगे. यह पांच लाख रुपये वापस करने की गारंटी सरकार देती है.
अगर आपकी जमा रकम 5 लाख से कम है तो आपको अपनी पूरी जमा राशि वापस मिल जाएगी. यह गारंटी या बीमा कवर भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली ईकाई जमा बीमा एवं ऋण गारंटी निगम (DICGC) प्रदान करती है.