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अब होगा असरदार इलाज: डायबिटीज मरीजों के लिए बड़ी खबर, AIIMS के डॉक्टरों ने दी ये खुशखबरी!

jantaserishta.com
29 Jan 2021 9:11 AM GMT
अब होगा असरदार इलाज: डायबिटीज मरीजों के लिए बड़ी खबर, AIIMS के डॉक्टरों ने दी ये खुशखबरी!
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एम्स दिल्ली के डॉक्टर डायबिटीज से पीड़ित और कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए रामबाण दवा लेकर आए हैं. एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने इसके लिए दो चिकित्सा पैथी यानी एलौपैथी और आयुर्वेद की कुछ दवाइयों को मिलाकर एक नई दवा बनाई है. एम्स दिल्ली के डॉक्टरों का दावा है कि इस दवा से डायबिटीज के मरीजों को कोरोना संक्रमण के दौरान राहत मिलेगी. साथ ही दिल संबंधी बीमारियों की आशंका को भी कम किया जा सकेगा.

एलोपैथी और बीजीआर-34 इन दो दवाओं को एकसाथ देने से डायबिटीज को तेजी से कम किया जा सकता है. साथ ही इस रोग की वजह से होने वाले हार्ट अटैक के खतरे को भी कम किया जा सकता है. यह दवा खून की नलियों और कोशिकाओं में बुरे कोलेस्ट्रोल को जमने नहीं देता.
इससे पहले तेहरान यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी एंटी-ऑक्सीडेंट्स की मात्रा से प्रचुर हर्बल दवाओं से डायबिटीज के मरीजों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम होने को लेकर अध्ययन प्रकाशित कर चुके हैं. भारत के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान (सीएसआईआर) द्वारा विकसित आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 की एंटी डायबिटिक क्षमता का पता लगाने के लिए एम्स के डॉक्टरों ने यह अध्ययन किया है.
एम्स के फॉर्मैकोलॉजी विभाग के डॉ. सुधीर चंद्र सारंगी की निगरानी में ये अध्ययन हो रहा है. इसे तीन चरणों में किया जा रहा है जिसका पहला चरण करीब डेढ़ साल बाद अब पूरा हुआ है. इसके परिणाम बेहद उत्साहजनक हैं.
इस स्टडी के मुताबिक बीजीआर-34 और एलोपैथिक दवा ग्लिबेनक्लामीड का पहले अलग-अलग और फिर एक साथ परीक्षण किया गया. दोनों ही परीक्षण के परिणामों की जब तुलना की गई तो पता चला कि दोनों दवाओं को एकसाथ देने से दोगुना असर होता है. इससे इंसुलिन के स्तर को बहुत तेजी से बढ़ावा मिलता है. लेप्टिन हार्मोन का स्तर कम होने लगता है.
विजयसार, दारुहरिद्रा, गिलोय, मजीठ, गुड़मार और मिथिका जड़ी बूटियों पर लखनऊ स्थित सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स और नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट ने गहन अध्ययन के बाद बीजीआर-34 की खोज की थी.
डॉक्टरों का कहना है कि इंसुलिन का स्तर बढ़ने से जहां डायबिटीज नियंत्रित होता है. वहीं, लेप्टिन हार्मोन कम होने से मोटापा और मेटाबॉलिज्म से जुड़े अन्य निगेटिव प्रभाव कम होते हैं. इतना ही नहीं इसके इस्तेमाल से कोलेस्ट्रोल में ट्राइग्लिसराइड्स एवं वीएलडीएल का स्तर भी कम हो रहा है. यानी डायबि़टीज रो‌गी में हार्ट अटैक की आशंका कम होने लगती है. यह एचडीएल (अच्छे कोलेस्ट्राल) के स्तर को बढ़ाकर धमनियों में ब्लॉकेज नहीं होने देती है.


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