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गांवों में रहने वाले लोगों की जमीन को मिलेगा यूनिक नंबर, ऐसा है सरकार का प्लान

Gulabi
31 March 2021 1:20 PM GMT
गांवों में रहने वाले लोगों की जमीन को मिलेगा यूनिक नंबर, ऐसा है सरकार का प्लान
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सरकार का प्लान

स्वामित्व योजना के तहत अब तक देश के 3,04,707 संपत्ति कार्ड जारी किए जा चुके हैं. केंद्र सरकार के मुताबिक 35,049 गांवों में इसके लिए ड्रोन सर्वे पूरा किया जा चुका है. इस योजना के तहत जमीनों की यूनिक आईडी (Unique ID) तैयार की जा रही है. इसमें संपत्ति का वर्गीकरण होगा. देश में 6,55,959 गांव हैं, जिसमें से 5,91,421 गांवों के रेवेन्यू रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन (Digitization of Land Records) हो चुका है. यही नहीं 53 फीसदी नक्शों को डिजिटल कर लिया गया है.

ग्रामीण विकास मंत्रालय के मुताबिक देश के 13,105 गांवों में भूलेखों का डिजिटाइजेशन जारी है. जबकि 51,433 गांवों में अभी तक यह काम शुरू नहीं हो सका है. भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस का कंप्यूटरीकरण होने के बाद किसी भी प्रॉपर्टी की आईडी बनाना आसान हो जाएगा. यानी अब सिर्फ 64,538 गांवों के लैंड रिकॉर्ड को डिजिटल किया जाना बाकी है.
क्या है स्वामित्व योजना
'स्वामित्व' पंचायती राज मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक केंद्रीय स्कीम है. इसकी शुरूआत 24 अप्रैल, 2020 को पंचायती राज दिवस के अवसर पर की गई थी. जबकि 11अक्तूबर, 2020 को इसके तहत प्रॉपर्टी कार्ड वितरित किए गए. इसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में घर के मालिक को प्रॉपर्टी कार्ड जारी करना है. यह स्कीम को 4 साल (2020-2024) में पूरे देश में लागू होगी और इसमें सभी गांवों को कवर किया जाएगा. योजना के पायलट चरण (2020-21) में 6 प्रमुख सूबों के लगभग 1 लाख गांवों कवर होंगे. इसमें हरियाणा, मध्य प्रदेश, यूपी, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और कर्नाटक शामिल हैं. पंजाब-राजस्थान के कुछ सीमावर्ती गांव भी कवर होंगे.
क्या है मकसद?
उत्तर प्रदेश राजस्व विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि स्वामित्व स्कीम (SVAMITVA Scheme) के जरिए एक संपत्ति कार्ड मिलेगा. जिसमें जमीन की यूनिक आईडी (Unique ID) होगी. यह एक तरह से 'आधार कार्ड' जैसा होगा. इससे जमीन की खरीद-फरोख्त में होने वाली धोखाधड़ी से बचा जा सकता है. उत्तर प्रदेश में इस पर तेजी से काम चल रहा है. सरकार का राजस्व विभाग कृषि, आवासीय और व्यवसायिक जमीनों को चिह्नित कर यूनिक नंबर जारी कर रहा है.
16 अंक का होगी आईडी
उत्तर प्रदेश में 16 अंक की आईडी बनाई जा रही है. इसमें पहले एक से लेकर छह अंक तक गांव की जनगणना के आधार पर होगा. इसी तरह 7 से 10 तक भूखंड की गाटा संख्या होगी. जबकि 11 से 14 अंक जमीन के विभाजन का नंबर होगा. कृषि, आवासीय और व्यावसायिक श्रेणी के लिए 15 से 16 नंबर होगा. आईडी बनने के बाद लोन लेना आसान होगा.
इस समस्या का होगा समाधान
राजस्व विभाग के अधिकारियों के मुताबिक गांवों में आबादी क्षेत्र होता है. यह वो जमीन होती है जिसके स्वामित्व के कागजाज मालिकों के पास नहीं होते. लोग इसे अपना मान कर हक जताते हैं. इससे जमीनी विवाद होते हैं. ऐसी ही जमीन पर बने घरों के मालिकाना हक के लिए स्वामित्व योजना शुरू की गई है.
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