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जेल की सजा काटने के बाद अब हो रिहाई, 13 जुवेनाइल दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका

Deepa Sahu
6 Jun 2021 10:49 AM GMT
जेल की सजा काटने के बाद अब हो रिहाई, 13 जुवेनाइल दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका
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जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा अपराध के समय किशोर घोषित किए गए.

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) द्वारा अपराध के समय किशोर घोषित किए गए 13 दोषियों, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के आगरा सेंट्रल जेल में बंद हैं उन्होंने रिहाई के लिए तत्काल निर्देश की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. ये याचिका वकील ऋषि मल्होत्रा ​​ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दायर की थी और इस संबंध में तत्काल उचित निर्देश और आदेश मांगा था. मल्होत्रा ​​ने अपनी याचिका में कहा कि अपराध के समय जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा किशोर घोषित किए गए इन 13 दोषियों को हार्डकोर अपराधियों के साथ हार्डकोर जेलों में रखा गया है.

मल्होत्रा ​​ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दायर अपनी याचिका में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने तत्काल रिट याचिकाओं के आधार पर उत्तर प्रदेश में एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और खेदजनक स्थिति को उजागर करने की मांग की. साथ ही कहा कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की तरफ से स्पष्ट और निर्विवाद फैसलों के बावजूद कि वो किशोर थे और सभी 18 साल की आयु सीमा से कम थे, फिर भी उन्हें तुरंत रिहा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है.
मल्होत्रा ​​ने अपनी याचिका में उनकी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट से तत्काल निर्देश मांगते हुए कहा कि दुख इस बात से बढ़ जाता है कि ये याचिकाकर्ता जो आगरा सेंट्रल जेल में बंद हैं, वो पहले ही 14 से 22 साल की अवधि के लिए न्यायिक कारावास से गुजर चुके हैं. यहां ये उल्लेख करना उचित होगा कि जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम, 2000 की धारा 16 के साथ धारा 15 के अनुसार, कारावास की अधिकतम अवधि 3 साल बताई गई है और वो भी जुवेनाइल होम्स में.
मल्होत्रा ​​​​द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि यहां मामला है जहां याचिकाकर्ता हार्डकोर अपराधियों के बीच हार्डकोर जेलों में बंद है, जिससे जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम के मतलब और उद्देश्यों को पूरी तरह से नकार दिया गया है.
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