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जितेंद्र नारायण त्यागी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी, जानिए वजह

jantaserishta.com
30 April 2022 2:39 AM GMT
जितेंद्र नारायण त्यागी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी, जानिए वजह
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जम्मू: कश्मीर की एक अदालत ने कथित तौर पर मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के मामले में जितेंद्र नारायण त्यागी के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया है. मालूम हो कि पिछले साल वसीम रिजवी ने अपना धर्म बदलकर हिंदू धर्म अपना लिया था और अपना नाम जितेंद्र नारायण त्यागी रख लिया था. पहले भी इस मामले में अदालत ने आरोपी को समन जारी कर कहा था कि वह पेश हों और तत्काल शिकायत में उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का जवाब दे. हालांकि वो कोर्ट में पेश नहीं हुए थे.

कश्मीर की कोर्ट ने कहा, 'मौजूदा मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 295ए, 505 के तहत प्रथम दृष्टया मामला बनता है.' मालूम हो कि जितेंद्र त्यागी यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
शिकायतकर्ता श्रीनगर निवासी दानिश हसन डार के अनुसार, "आरोपी ने अपनी मर्जी और पसंद से इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया लेकिन धर्मांतरण के बाद मीडिया से बात करते हुए अपमानजनक बयान दिए, जिससे मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची.' अब इस मामले में कोर्ट 3 जून को अगली सुनवाई करेगा.
जो शख्स अपमानजनक बातें करके किसी व्यक्ति को निशाना बनाता है और ऐसे भाषण या बयान से परिणामस्वरूप उपद्रव हो सकता है. तो वे मामले इसी धारा के तहत आते हैं. अगर उपरोक्त भाषण या बयान की वजह से उपद्रव होता है, तो दोषी को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता है. उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है. या फिर सजा के तौर पर दोनों ही लागू हो सकते हैं. अगर आपत्तिजनक भाषण या बयान से उपद्रव नहीं होता तो भी दोषी को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है और उस सजा को 6 माह तक बढ़ाया जा सकता है. या जुर्माना और कैद दोनों हो सकते हैं.
जो व्यक्ति देश के नागरिकों के किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने या करने की उद्देश्य से उस वर्ग के धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करने की कोशिश करता है तो उसे किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है.
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 505 के अनुसार, अगर भारत की सेना, नौसेना या वायुसेना का कोई अधिकारी, सैनिक, नाविक या वायुसैनिक विद्रोह करे या वह अपने कर्तव्य की अवहेलना करे या उसके पालन में असफल रहे. या सामान्य जन या जनता के किसी भाग को ऐसा डर हो, जिससे कोई व्यक्ति राज्य के विरुद्ध या सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध करने के लिए उत्प्रेरित हो. या किसी वर्ग या समुदाय को किसी दूसरे वर्ग या समुदाय के विरुद्ध अपराध करने के लिए उकसाया जाए. या इस तरह के बयानों या आपत्तिजनक भाषणों की रचना, प्रकाशित और प्रसार करे. तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 ए के तहत मुकदमा होता है. दोषी पाए जाने पर उस शख्स को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया भी जा सकता है.
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