एनसीआर नोएडा: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नोएडा आने के बाद बुरे दिन शुरू हो गए। राहुल को दो साल की सजा फिर उनकी लोकसभा की सदस्यता खत्म होने के बाद उन्हें बंगला खाली करने का नोटिस थमा दिया गया। अब नोएडा में चर्चा है कि कहीं नोएडा आना राहुल गांधी के लिए ”मनहूस” तो साबित नहीं हुआ।
20 मार्च को आए थे नोएडा: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी बीते 20 मार्च को अचानक नोएडा आ गए। वह सुबह 6.45 पर दिल्ली से चले और डीएनडी होते हुए सेक्टर-31 में जाने-माने डा- राकेश चंदेला से मिले। उन्होंने डा. चंदेला से अपनी मां श्रीमती सोनिया गांधी के स्वास्थ्य को लेकर परामर्श किया और दिल्ली लौट गए।
पहले सजा, फिर गई सदस्यता, बंगला करना पड़ेगा खाली
नोएडा आने के बाद राहुल गांधी का बुरा समय शुरू हो गया। एक चुनावी रैली में “मोदी सरनेम” को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के मामले में एक दिन बाद गुजरात के सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुना दी। सजा होते ही उनकी लोकसभा सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा। हुआ भी ऐसा ही 23 मार्च को राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया। उसके बाद 24 मार्च को लोकसभा सचिवालय ने सांसद के रूप में राहुल गांधी को आवंटित 12 तुगलक रोड स्थित बंगले को खाली करने का नोटिस थमा दिया। राहुल की मुश्किलें यहां भी खत्म नहीं हुई। 30 मार्च को पटना की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें नोटिस भेजकर 12 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का नोटिस भेज दिया।
नोएडा से जुड़ा राजनीतिक अंधविश्वास
उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों और मुख्यमंत्रियों के बीच यह अंधविश्वास Noida Jinx (नोएडा मनहूस) था कि जो व्यक्ति मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान नोएडा जाता है वह अगला मुख्यमंत्री नहीं बन पाता। हालांकि उत्तर प्रदेश के इन दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अंधविश्वास को तोड़ा है और कई बार नोएडा आ चुके हैं।
नवीन ओखला औ़द्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) की स्थापना 1976 में हुई। उप्र के मुख्यमंत्री रहे वीर बहादुर सिंह 1988 में नोएडा के दौरे पर आए। कुछ दिनों बाद उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 1989 मंे नारायण दत्त तिवारी नोएडा के दौरे पर आए लेकिन उन्हें भी सत्ता से बाहर होना पड़ा। 5 दिसं. 1989 से 24 जून 1991 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव रहे। 6 दिसंबर 1992 से 4 दिसंबर 1993 (एक साल) तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा। 1993 से 1995 तक राज्य के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव एक बार फिर बने। 3 जून 1995 से 18 अक्टूबर 1995 तक मायावती मुख्यमंत्री रही। इसके बाद कल्याण सिंह व रामप्रकाश गुप्ता भी उप्र के मुख्यमंत्री बने। अंधविश्वास के कारण 28 अक्टूबर 2002 से 8 मार्च 2002 तक उप्र के मुख्यमंत्री रहे राजनाथ सिंह ने जब नोएडा दिल्ली को जोड़ने के लिए डीएनडी फ्लाईओवर का उदघाटन किया तो वह नोएडा नहीं आए और दिल्ली जाकर डीएनडी का उदघाटन कर दिया। शायद अंधविश्वास का ही असर था कि प्रदेश की मुख्यमंत्री रही सुश्री मायावती व अखिलेश यादव भी जब नोएडा आये तो दुबारा प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बन पाये। एक वरिष्ठ नौकरशाह का तो यहां तक दावा था कि (नोएडा एक नगदी समृद्ध गाय) थी और नौकरशाह इससे नेताओं को दूर रखना चाहते थे। शायद इसलिए इस मिथक का जन्म हुआ।