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नोएडा : इंजीनियर युवती से ऐंठ लिए 11 लाख

Tara Tandi
1 Dec 2023 7:15 AM GMT
नोएडा : इंजीनियर युवती से ऐंठ लिए 11 लाख
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नोएडा : शहर में डिजिटल स्टोर्स कर रेस्टॉरेंट की पहली दुकान बनी है। साइबर जालसाजों ने आईटी इंजीनियर को आठ घंटे तक डरा-धमकाकर घर में अकेले रहने पर मजबूर कर दिया।

इस दौरान कॉमिक बुक या दोस्तों से बात करने की इजाज़त नहीं दी गई। फ़ोर्स ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में 11.11 लाख रुपये की कमाई कर ली। महिला की शिकायत पर केस दर्ज कर साइबर थाने में मामले की जांच शुरू हो गई है। पुलिस जांच में डिजिटल स्टोर्स कर वाइस का खुलासा हुआ।

सेक्टर-34 स्थित धवलगिरि अपार्टमेंट रेजिडेंट आईटी इंजीनियर सीजा टीए के पास 13 नवंबर को अंजान नंबर से फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद को बताया रेगुलेटरी ऑफ इंडिया (ट्राई) के स्टाफ ने बताया। कॉल करने वाले ने कहा कि कंपनी के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर सिम कार्ड खरीदा गया है जिसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है।

उन्हें बताया गया कि सिम का इस्तेमाल कर दो करोड़ रुपये निकाले गए हैं। विश्वास ने आगे की जांच का हवाला देते हुए कॉल पोस्ट कर दिया। इसके बाद स्काइप कॉल कर कथित तौर पर एक तरफ से मुंबई पुलिस, दूसरी तरफ के विभागों और कस्टम विभाग के अधिकारियों को डरा दिया गया।

करीब आठ घंटे तक स्काइप कॉल सेल्स की निगरानी कर बंधक बनाए रखा गया। इस दौरान लड़की से कई तरह के सवाल पूछे गए। किसी से भी बात करने की जानकारी नहीं दी गई। जालसाजों ने आठ घंटे बाद 11.11 लाख शेयर वॉलंटेज के बाद कॉल शेयरिंग कर दिया। इस मामले में साइबर क्राइम थाने में पिछले सप्ताह मुकदमा दर्ज किया गया था। साइबर क्राइम एसोसिएशन की प्रभारी पर्यवेक्षक रीता यादव के मुताबिक जालसाजों ने पुलिस के परिधानों में स्काइप कॉल कर सोसायटी को डराया था।

डिजिटल रेस्टोरेंट क्या है
डिजिटल स्टोर्स में मोबाइल या लैपटॉप से ​​स्काइप पर वीडियो कॉलिंग कर या अन्य ऐप के जरिए किसी पर भी नजर रखी जाती है। उसे ड्राइज धमाका कर वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं किया जाता है। यानी वीडियो कॉल के जरिए आपके घर में या जहां वो है वहां एक तरह से कैद किया जाता है। इस दौरान पीड़ित न तो वह किसी से कर सकती है और न कहीं जा सकती है।

एप डाउनलोड अपलोड भी किया जाता है सुपरवाइजर
डिजिटल स्टोर्स का इस्तेमाल साइबर जालसाज करते हैं। जलसाज पुलिस, एलसीडी, एलसीडी, एचडी के अधिकारी आगमन ऐप डाउनलोड करने के लिए वर्चुलअ जांच का शौक देते हैं। पीड़ित से पुलिस के अंदाज में पूछताछ की जाती है। जिसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग, मानव स्टॉक, बंधक व्यवसाय से लेकर श्रेणी श्रेणी में शामिल होने का आरोप लाखों की संख्या में है। मूल न तो किसी से मदद मांगी जा सकती है और न किसी को अपनी कहानी बताई जाती है। उसे जो निर्देश मिलता है, उसी के हिसाब से काम करता है।

17 दिन तक डिजिटल में रही थी शटर का रहस्य
पहले भी आया था ऐसा मामला सामने जलसाजों ने 17 दिन पहले तक डिजिटल स्टोर के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक्स को ऐप के माध्यम से लॉन्च किया था। फैक्ट्रियों के मानव संसाधन के मामले में फॉक्सने का डर दिखाया गया था और स्काइप एप से लॉजिकल आउटपुट नहीं दिया गया था।

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