नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की ओर से भेजे गए पांच नामों को केंद्र सरकार ने क्लियर कर दिया है। इसके साथ ही अब सुप्रीम कोर्ट में कुल जजों की संख्या 32 हो जाएगी। उधर केंद्रीय कानून मंत्री किरण रीजीजू ने कहा कि न्यायपालिका और सरकार में कोई टकराव नहीं है। हम एक टीम भावना से जनता को न्याय दिलाने का काम कर रहे हैं। जनता मालिक है और संविधान गाइड है।
देश संविधान के मुताबिक चलेगा। हम जनता के सेवक हैं। हमें काम करने की जिम्मेदारी मिली है। हम जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कोई भी किसी को चेतावनी नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि देश की अदालतों में 4 करोड़ 90 लाख मुकदमे पेंडिंग हैं। मिडिएशन, अधिकरण के बावजूद पेंडिंग मुकदमों की संख्या कम होती नजर नहीं आ रही है। लोग सोचते हैं अदालत काम नहीं कर रही। न्यायाधीश कड़ी मेहनत कर भारी संख्या में मुकदमे तय कर रहे हैं, लेकिन उतनी ही संख्या में नए मुकदमे दाखिल भी हो रहे हैं। हम समझते हैं आम आदमी नहीं समझता। हमने समाधान का उपाय ढूंढ़ा है। मैन पावर के साथ तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।ई-कोर्ट फेज तीन के लिए 7 हजार करोड़ का बजट
किरण रीजीजू ने कहा कि तकनीकी के कारण ही कोविड पेंडमिक के समय हमारी अदालतें बंद नहीं हुईं। सरकार और कोर्ट ने चुनौती स्वीकार की। ऑनलाइन बहस से जनता को न्याय मिलता रहा। दुनिया में अच्छा संदेश गया। अमेरिका जैसे देश विश्वास नहीं कर रहे थे। हमने बताया कि जज कितनी मेहनत करते हैं। यह ई-कोर्ट से संभव हुआ। पीएम के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने ई-कोर्ट फेज तीन के लिए 7 हजार करोड़ का बजट दिया है, जिससे न्याय पाने की यात्रा की दूरी कम होगी। उन्होंने कहा कि मुकदमे में तारीख न मिल पाना, वर्षों तक केस लंबित रहना अच्छी स्थिति नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ई-कोर्ट में लीड ले, हम सहयोग करेंगे। मुकदमों के अदालत आने से पहले सुलह से तय करने का हमें उपाय करना होगा। रीजीजू ने अदालतों में देश की भाषा के इस्तेमाल पर बल देते हुए कहा कि मेरे साथ आगरा के युवा रूस गए थे। हमें द्विभाषिए मिले थे। आगरा के युवा छात्र अंग्रेजी बोलते तो वे रूसी में परिवर्तित करते। एक दिन एक ने कह दिया कि हमने हिंदी में कोर्स किया है। हमें अंग्रेजी नहीं आती। हमें मातृभाषा में अपनी बात करनी चाहिए। देश में 4 करोड़ 90 लाख मामले विभिन्न अदालतों में लंबित
रीजीजू ने कहा कि इस समय पूरे देश में 4 करोड़ 90 लाख मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। हम इस समस्या का समाधान निकाल रहे हैं। सबसे बड़ा उपाय प्रौद्योगिकी समाधान है। हाल ही में बजट में ई-कोर्ट फेज तीन के लिए 7 हजार करोड़ रुपये आबंटित किया गया। उन्होंने कहा कि मेरी इच्छा है कि देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय होने के नाते इलाहाबाद उच्च न्यायालय ई-कोर्ट परियोजना लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाए। सरकार ने 1486 पुराने और चलन से बाहर के कानून समाप्त किए हैं। वर्तमान संसद सत्र में ऐसे 65 कानून हटाने की प्रक्रिया चल रही है।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने भारी संख्या में लंबित मामलों को देखते हुए लीगल इन्फार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम लागू करने की तैयारी की है, जिससे व्यक्ति किसी भी हाईकोर्ट में मामला किस स्तर पर है, इसकी जानकारी एक क्लिक पर हासिल कर सकेगा। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता विधेयक तैयारी के अंतिम चरण में है और इसके पारित होने के बाद देश में समानांतर न्याय व्यवस्था स्थापित होगी। उनका कहना था कि मध्यस्थता की व्यवस्था पूर्ण न्यायिक व्यवस्था होगी, जिससे छोटे-छोटे मामले अदालत के बाहर ही निपट जाएंगे और अदालतों पर बोझ घटेगा। समारोह में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर, न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा, महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा शामिल हुए।