भारत
Nitish ने छुए Modi के पैर, सोशल मीडिया में वीडियो बना चर्चा का विषय
Shantanu Roy
7 Jun 2024 4:24 PM GMT
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New Delhi: नई दिल्ली। आज शुक्रवार को नवनिर्वाचित एनडीए संसदीय दल की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार Chief Minister Nitish Kumar का व्यवहार देखने लायक था. अगर आपका पोलिटिकल ओरिएंटेशन एनडीए की ओर है तो शायद पुरानी संसद के सेंट्रल हाल का ये दृश्य देखकर आप भाव विभोर भी हो सकते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस तरह पीएम मोदी के सम्मान में अपने भाव व्यक्त किए वो कुछ ऐसा ही था. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शायद उस वक्त कुछ ज्यादा ही भावुक हो गए थे. उनकी आंखें डबडबाई महसूस हो रहीं थीं.
ये एक ऐतिहासिक मूहर्त,नीतीश कुमार ने एनडीए संसदीय दल के नेता नरेंद्र मोदी के पैर छुए। pic.twitter.com/fxTUOj4zXb
— Diganta Sarma (मोदी का परिवार) (@Diganta81339790) June 7, 2024
नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी के प्रति जो विश्वास दिखा रहे थे, उनके शब्दों से उसे समझा जा सकता है. वो मोदी के नेतृत्व में पूर्ण आस्था दिखा ही रहे थे, ये भी चाहते थे कि बस जल्दी शपथ ग्रहण भी हो जाए. उन्होंने कहा कि मैं तो चाहता हूं अभी शपथ ग्रहण हो जाए पर आप जब चाहे हम आपके साथ हैं. इतना ही नहीं नीतीश कुमार स्पीच देने के बाद मोदी के पास जाते हैं और उनके पैर छूने की कोशिश करते हैं. पीएम मोदी भी उनके सम्मान में तुरंत खड़े हो जाते हैं और उन्हें झुकने से रोक लेते हैं. देश के 2 सम्मानित नेताओं का यह मिलन वास्तव में अद्भुत था. पर विरोधी हों या समर्थक सभी नीतीश कुमार के इस जेस्चर को देखकर अचंभित हुए. उम्र के लिहाज से दोनों में ज्यादा फर्क नहीं है. नीतीश कुमार पीएम मोदी से महज 6-7 महीने ही छोटे हैं. लेकिन, राजनीतिक हलको में कहा जाता है कि नीतीश कुमार को समझना मुश्किल ही नामुमकिन है. आइये देखते हैं वो कौन सी बातें हैं जिसके चलते नीतीश कुमार आज नरेंद्र मोदी को लेकर इतने विनम्र नजर आ रहे थे.
देखें नीतीश कुमार के बयान का वीडियो
#WATCH बिहार के मुख्यमंत्री और JDU नेता नीतीश कुमार ने कहा, "हमारी पार्टी JDU, भाजपा संसदीय दल के नेता नरेंद्र मोदी को भारत के प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन देती है। यह बहुत खुशी की बात है कि 10 साल से ये पीएम हैं और फिर पीएम होने जा रहे हैं। इन्होंने पूरे देश की सेवा की है और… pic.twitter.com/LZ0tGJSO86
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 7, 2024
नीतीश कुमार सत्ता के बहुत महीन खिलाड़ी हैं. कुर्सी उनको बहुत दूर से दिखाई देती है. जहां तक बीजेपी के धुरंधरों की नजर नहीं पहुंच सकती, उसके आगे तक देखने का नजरिया उनके पास है. उन्हें बहुत पहले पता लग गया था कि इंडिया गठबंधन अभी सत्ता से कोसों दूर है. इसलिए ही उन्होंने मौका देखकर एनडीए की ओर पलटी मार ली थी. वो जानते हैं कि अभी भी इंडिया गठबंधन में इतने दावेदार हैं कि वहां पीएम और डिप्टी पीएम के लिए बहुत मारा मारी है. इंडिया गठबंधन अगर सरकार बनाती भी है तो उसके ऑर्किटेक्ट कई होंगे. वहां पर राहुल गांधी ही नहीं अखिलेश यादव, ममता बनर्जी , अरविंद केजरीवाल जैसे कई लोग नीति नियंता बनेंगे. सबसे बढ़कर उनके पुराने दोस्त लालू यादव की भूमिक तो प्रमुख रहेगी ही. लालू ने जब उन्हें इंडिया गठबंधन का कन्वेनर नहीं बनने दिया तो नीतीश कुमार के साथ इंडिया गठबंधन में न्याय नहीं होने वाला है.
जिस तरह का भाषण देते समय नीतीश कुमार ने बिहार के विकास में जो बाकी है उसके बारे में बात की उससे लगता है कि कुछ तो डील हुई है. 'इन्होंने पूरे देश की सेवा की है, पूरा भरोसा है जो कुछ भी बचा है अगली बार ये सब पूरा कर देंगे, जो भी राज्य का है हमलोग पूरे तौर पर सब दिन इनके साथ रहेंगे. हम देखें हैं कि इधर उधर कुछ जीत गया है, अगली बार जो आइएगा न तो सब हारेगा. उन लोगों (विपक्ष) ने आजतक कोई काम नही किया है देश बहुत आगे बढ़ेगा बिहार का सब काम हो ही जाएगा.'
नीतीश ने कहा, 'बिहार के सभी लंबित काम पूरे किए जाएंगे. यह बहुत अच्छी बात है कि हम सभी एक साथ आए हैं और हम सभी आपके (पीएम मोदी) साथ मिलकर काम करेंगे. आप रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे, लेकिन मैं चाहता था कि आप आज ही शपथ लें. जब भी आप शपथ लेंगे, हम आपके साथ होंगे...हम सभी आपके नेतृत्व में मिलकर काम करेंगे...'
बिहार के सभी लंबित का पूरे किए जाएंगे इस एक वाक्य से उन्होंने यह संदेश दिया है कि कुछ तो डील हुई है. पिछले दिनों बिहार के राजनीतिक दलों में एक बात की बहुत चर्चा है कि नीतीश कुमार के बेटे को भी राजनीति में स्टैबलिश करना है. हो सकता है कि इस बात पर भी कोई प्लान बी तैयार किया गया हो.
नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच बहुत अच्छे संबंध रहे हैं. हां ये भी रहा है कि बीच-बीच में नीतीश कुमार रूठ जाते रहे हैं. पर इसका कारण इतना राजनीतिक रहा है कि नरेंद्र मोदी ने भी कभी उसे दिल पर नहीं लिया. यही नीतीश कुमार के लिए भी रहा है. नरेंद्र मोदी से उनकी जब भी दूरी बनी उसका कारण राजनीतिक लाभ ही लेना था. व्यक्तिगत रूप से दोनों के बीच ऐसा कोई कारण नहीं था जिसे दुश्मनी का आधार मान लिया जाए . नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी का उस समय साथ दिया जिस समय उनकी पार्टी के लोग भी उनके पक्ष में बोलने को तैयार नहीं थे.2002 में हुए गुजरात दंगों के चलते जिस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी से लोग रिजाइन चाहते थे उस समय नीतीश कुमार ने मौन रहकर अपने दोस्त की मदद की थी. बाद के दौर में हालांकि नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी से अपनी बहुत दूरी बना ली. उसका कारण पीएम पद का रेस था. पीएम पद की रेस में बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी चेहरा बन चुके थे. जबकि एनडीए की ओर से नीतीश कुमार पीएम कैंडिडेट की तरह उभर रहे थे. जाहिर है कि 2014 में अगर नरेंद्र मोदी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता तो एनडीए की ओर से नीतीश कुमार का नाम पीएम पद के लिए प्रस्तावित हो सकता था.
नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें बहुत सम्मान दिया है. राजनीतिक विश्लेषक सौरभ दुबे कहते हैं कि बिहार 2021 में विधानसभा चुनावों में जेडीयू की सीटें कम आने के बाद भी अगर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो उसके पीछे नरेंद्र मोदी ही थे. दूसरी बार जब एक बार फिर नीतीश कुमार आरजेडी को छोड़कर एनडीए में आते हैं तो नीतीश कुमार को सीएम बनाने के लिए कोई तैयार नहीं था. गृहमंत्री अमित शाह तो बिल्कुल भी नहीं चाहते थे. बिहार की स्थानीय राज्य इकाई भी नहीं चाहती थी कि नीतीश कुमार बीजेपी में वापस में आएं.दुबे कहते हैं कि यह नरेंद्र मोदी का ही फैसला था कि नीतीश कुमार जिस तरह आना चाहते हैं उन्हें उसी तरह सम्मान के साथ एनडीए में लाया जाए.
नीतीश कुमार अभी राजनीति से संन्यास लेने के मूड में नहीं हैं. वो 2024 के चुनावों का हश्र देख चुके हैं. वो जानते हैं कि उनकी पार्टी के कोर वोटर्स बीजेपी के साथ ज्यादा महफूज महसूस करते हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में आरजेडी के साथ रहते तो संभावना थी कि नीतीश कुमार को इतनी बड़ी सफलता नहीं मिलती. फिर मंडल की राजनीति जेडीयू और आरजेडी दोनों ही करते हैं. शायद यही कारण है कि आरजेडी हमेशा से जेडीयू को खत्म करने की कोशिश में होती है. आरजेडी के साथ सरकार में रहते हुए भी तेजस्वी और लालू यादव ने नीतीश कुमार को हैरान परेशान कर रखा था. बिहार सरकार के सारे काम का श्रेय तेजस्वी अकेले लेना चाहते थे. पिछली बार जब महागठबंधन छोड़कर नीतीश कुमार एनडीए में आए थे उस समय तेजस्वी और आरजेडी के ट्वीटर हैंडल ने नीतीश कुमार के खिलाफ इतना कुछ लिखा था जिसे नीतीश कभी भुला नहीं पाते हैं. इंडिया गठबंधन को बनाने का सारा श्रेय नीतीश कुमार का था. पर कभी भी लालू यादव और कांग्रेस ने उन्हें इस बात का श्रेय तक नहीं दिया. नीतीश कुमार शायद यही सब सोचकर बार-बार कहते हैं कि अब उन्हें कहीं नहीं जाना है. हालांकि कब उनका मन बदल जाए यह भी कोई नहीं जानता है.
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