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हिज्ब-उत-तहरीर मामले में NIA ने दायर की चार्जशीट, आरोपी पर सांप्रदायिक नफरत फैलाने का आरोप
Deepa Sahu
29 May 2021 5:11 PM GMT
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शुक्रवार को आतंकवादी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शुक्रवार को आतंकवादी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (Hizb-ut-Tahrir) के एक कथित सदस्य के खिलाफ विशेष अदालत (Special NIA Court) के सामने चार्जशीट दायर की है. 31 वर्षीय आरोपी मोहम्मद इकबाल एन उर्फ सेंथिल कुमार तमिलनाडु के मदुरै में काजीमार स्ट्रीट का रहने वाला है. जानकारी के मुताबिक, आरोपी की ओर से फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट अपलोड करने के संबंध में एक मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद NIA ने फिर से मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.
NIA ने कहा, "जांच से पता चला है कि फेसबुक पेज (Facebook Page) 'थोंगा विजिगल रेंडु इज इन काजीमार स्ट्रीट' पर पोस्ट को अलग-अलग धार्मिक समूहों के बीच सांप्रदायिक नफरत को भड़काने के लिए अपलोड किया गया था. इस पोस्ट को कानून और व्यवस्था के खिलाफ बताया गया था". NIA ने ये भी बताया कि आरोपी ने कई देशों में प्रतिबंधित संगठन हिज्ब-उत-तहरीर के नाम पर अन्य संदिग्धों के साथ साजिश रची थी.
NIA ने बताया कि आरोपी ने इस्लामिक स्टेट खिलाफत या खिलाफा स्थापित करने और गैर-इस्लामी सरकारों को उखाड़ फेंकने के लिए भारत सहित विश्व स्तर पर शरिया लागू करने का प्रचार और प्रचार किया था. NIA ने कहा, "जांच के अनुसार, आरोपी ने फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, टेलीग्राम, व्हाट्सएप पर कई सोशल मीडिया अकाउंट भी बनाए थे, जिनका मकसद भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाना था. इसी के साथ, उसने भारत सरकार के प्रति असंतोष की भावना को भड़काने के इरादे से उन अकाउंट्स से कई पोस्ट अपलोड किए थे".
आतंकी संगठन 'हिज्ब-उत-तहरीर'
हिज्ब-उत-तहरीर आतंकी संगठन बांग्लादेश का है और अब इसके तार दुनिया के कई देशों में फैले हुए हैं. हिज्ब-उत-तहरीर और ISIS की विचारधारा में काफी समानताएं हैं. जहां ISIS उग्र और आतंकी घटनाओं के जरिए प्रचार कर रहा हैं, तो वहीं हिज्ब-उत-तहरीर गुपचुप तरीके से अपना सामाजिक दायरा बढ़ा रहा है. ये संगठन अपना मकसद इस्लामिक खिलाफत को दोबारा स्थापित करना और दुनिया में शरिया कानून लागू करना बताता है. इस संगठन ने साल 2,000 में बांग्लादेश में अपनी गतिविधियां शुरू की थीं और आतंकवादी गतिविधियों की वजह से सरकार ने साल 2009 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया था.
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