सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश में दखल देने से इन्कार कर दिया, जिसमें पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के फैसले को रद्द कर दिया था।
इस दौरान शीर्ष कोर्ट ने कहा कि ऐसी कई जगहें हैं जहां मानवाधिकार आयोग हस्तक्षेप कर सकते हैं, लेकिन वे केवल कुछ स्थानों पर कदम रख रहे हैं और किसी सुपर निकाय की तरह काम कर रहे हैं। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि इस तरह के कदम की अनुमति देना राज्य चुनाव आयोग की भूमिका को हड़पने जैसा होगा। शीर्ष अदालत ने कहा, इस संबध में जारी एनएचआरसी की अधिसूचना अनुच्छेद 243 के का उल्लंघन थी। इस तरह स्वत: संज्ञान नहीं लिया जा सकता था। स्वायत्तता और स्वतंत्रता इसलिए दी गई है ताकि केंद्रीय और राज्य चुनाव आयोग बिना किसी हस्तक्षेप के अपना कर्तव्य निभा सकें।
कोर्ट ने पूछा-चुनाव की निगरानी कैसे कर सकते हैं
सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने कहा, आप एक स्वायत्त निकाय है तो चुनावों की निगरानी कैसे कर सकते हैं? आप समानांतर कार्रवाई करना चाहते हैं? शीर्ष अदालत कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया था कि एनएचआरसी का कदम पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र को हड़पने जैसा है।