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DLF EWS के फ्लैटों को बचाने के लिए दांव पर लगे NH और लेबर कॉलोनी
Shantanu Roy
24 Sep 2023 10:53 AM GMT
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चंडीगढ़। विगत जुलाई और अगस्त माह में भारी बारिश से पिंजौर की कौशल्या नदी में आई भीषण बाढ़ के बाद कौशल्या डैम के फ्लड गेट खोलने पड़े जिससे सूरजपुर लेबर कॉलोनी, अमरावती कॉलोनी, नेशनल हाईवे को भारी नुकसान हुआ है। इस नुकसान की सबसे बड़ी वजह रही कौशल्या डैम के फ्लड गेट के एक दम बिल्कुल सामने बनी। डीएलएफ कॉलोनी में हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनाए गए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 240 फ्लैटों को बाढ़ से बचाने के लिए कंक्रीट की मजबूत सुरक्षा दीवार बनाई गई। इसी गंभीर मुद्दे को उठाते हुए शिवालिक विकास मंच प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व चेयरमैन हरियाणा सरकार विजय बंसल एडवोकेट ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज कर बताया है कि हाउसिंग बोर्ड ने ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति लिए बिना ही बाढ़ के लिए अति संवेदनशील मानी जाने वाली कौशल्या नदी में ईडब्ल्यूएस फ्लैटों का निर्माण कर दिया और उन फ्लैटों को बचाने के लिए नदी में कंक्रीट की मजबूत सुरक्षा दीवार (रिटेनिंग वॉल) का निर्माण कर दिया गया जिससे नदी के पानी का रुख मुड़कर सूरजपुर रामपुर सीयूडी की लेबर कॉलोनी, चंडीगढ़-शिमला नेशनल हाईवे और अमरावती की ओर मुड़ गया। भारी मात्रा में आए बाढ़ के पानी से न केवल लेबर कॉलोनी के दर्जनों मकान पानी में बह गए बल्कि एक युवक भी पानी में बह गया। 100 से अधिक लोग बेघर हो गए व चंडीगढ़- शिमला नेशनल हाईवे की सर्विस लेन टूट गई। साथ ही अमरावती कॉलोनी का पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया और अन्य कई मकानों को भी खतरा उत्पन्न हो गया है।
विजय बंसल ने मुख्यमंत्री से लोगों के हुए नुकसान का जल्द मुआवजा देने, डैम के स्पिलवे फ्लड गेट के सामने गलत तरीके से बनाए गए फ्लैटों के निर्माण की जांच करने और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करने और भविष्य में इस प्रकार के नुकसान की रोकथाम के लिए विशेष योजना बनाने की मांग की है। विजय बंसल ने बताया कि अभी तो केवल आई बाढ़ ने इतनी बड़ी तबाही मचाई है यदि कौशल्या डैम टूट गया तो इससे सूरजपुर, रामपुर सियुडी, अमरावती कॉलोनी, चंडीमंदिर, बीडघगर और पंचकूला, चंडीगढ तक के कितने सेक्टर तबाह हो जाएंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
विजय बंसल ने बताया कि इस मामले में सिंचाई विभाग के इंजीनियर इन चीफ का भी जवाब आया था कि 7 एकड़ जमीन पर ईडब्ल्यूएस के बनने वाले 242 फ्लैटों के निर्माण को एनओसी नहीं दी जा सकती। सिंचाई विभाग के निदेशक ने आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में जवाब देते हुए बताया था कि डीएलएफ कॉलोनी के ईडब्ल्यूएस फ्लैटों के निर्माण के लिए सिंचाई विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई थी और विगत 23 मार्च 2015 को मुख्यमंत्री, सिंचाई मंत्री को पत्र भेज कर इस मामले की जानकारी से अवगत करवा दिया गया था। इसके बाद वर्ष 2015 में तत्कालीन सिंचाई मंत्री ओपी धनखड़ और मंत्री कृष्णा पवार ने कौशल्या डैम का दौरा कर फ्लड गेट के सामने बने फ्लैटों का निरीक्षण भी किया था। विजय बंसल ने बताया कि डीएलएफ कंपनी द्वारा वन विभाग से अनुमति लिए बिना ही कॉलोनी का निर्माण कर दिया था यही नहीं कौशल्या नदी में फ्लड गेट के सामने ईडब्ल्यूएस के 242 फ्लैटो के निर्माण के लिए भी निदेशक शहरी एवं ग्राम आयोजन विभाग, सिंचाई विभाग और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से भी इसकी अनुमति नहीं ली गई है।
उन्होंने बताया कि उन्होंने साल 2011 वर्ष, 2014 और 2015 को मुख्यमंत्री और सिंचाई मंत्री को ज्ञापन भेज कर गलत तरीके से बनाए गए फ्लैटों के निर्माण की जांच की मांग की थी उस समय शिवालिक विकास मंच ने नदी में बाढ़ आने की स्थिति में लेबर कॉलोनी, नेशनल हाईवे सहित अमरावती, पंचकूला की कॉलोनियो को नुकसान पहुंचने की भविष्यवाणी कर दी थी विजय बंसल ने बताया कि तब मुख्यमंत्री के आदेश पर वर्ष 2016 में विजिलेंस विभाग ने जांच की थी जिसमें सिंचाई विभाग के एक्सईएन ने जांच के बाद लगभग 25 अधिकारियों कर्मचारियों को दोषी ठहराया था लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई साथ ही फ्लैटों को बचाने के लिए सुरक्षा दीवार को बनने दिया गया और इस बारिश के मौसम में शिवालिक विकास मंच की भविष्यवाणी सच साबित हुई। यदि सरकार और प्रशासन पहले ही सतर्क होकर रोकथाम के उपाय कर लेता तो आज लोगों को भारी नुकसान ना उठाना पड़ता।
विजय बंसल ने बताया कि वर्ष 2012 में डैम बनकर तैयार हो गया था। वर्ष 2014 में शिवालिक विकास मंच द्वारा मुख्यमंत्री, सिंचाई मंत्री और सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता को की गई शिकायत के बाद मुख्यमंत्री ने वर्ष 2016 में डैम निर्माण में घोटाले की जांच के आदेश कर दिए गए थे। इतना ही नहीं आईआईटी रुड़की से आई एक टीम ने जांच के बाद दिल्ली सरकार को दी गई रिपोर्ट में बताया था कि हाउसिंग बोर्ड में 242 फ्लैटों का निर्माण नियमों को तक पर रखकर किया गया है। यही नहीं जांच अधिकारियों ने कौशल्या डैम को वाटर बम की संज्ञा भी दी थी जो निचले क्षेत्र को भारी क्षति पहुंचा सकता है। विजय बंसल ने बताया कि डीएलएफ कंपनी द्वारा कौशल्या नदी में मिट्टी डालकर नदी को बंद किया जा रहा था जिसके बाद शिवालिक विकास मंच ने सरकार को शिकायत की थी तब वर्ष 2005 में डीसी पंचकूला ने मिट्टी डालकर किया जा रहे अवैध निर्माण को रोकने के निर्देश दिए थे। शिवालिक विकास मंच द्वारा गत लगभग डेढ़ दशक से सरकार को इस मामले की की गई शिकायत को आधार मानकर ही अमरावती के कुछ लोगों ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका डाली है जिस पर हाईकोर्ट ने हरियाणा और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
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