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गौतमबुद्ध नगर में एनजीटी ने दिया एनओसी के बिना बोरवेल सील करने का आदेश
jantaserishta.com
20 Nov 2022 7:49 AM GMT
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गौतमबुद्ध नगर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड का हाल कुछ ऐसा है कि वहां पर रहने वाले बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। जिन इलाकों में दिक्कत ज्यादा है वहां पानी का टैंकर आते ही ग्रामीण उस पर टूट पड़ते हैं। आने वाले समय में यह हाल राजस्व के रूप में नंबर एक पर रहने वाले जिले गौतमबुद्ध नगर का भी होने वाला है। यहां पर जिस तरीके से पानी का दोहन किया जा रहा है उसको देखते हुए यह लग रहा है कि आने वाले दिनों में हाल बेहाल होने वाला है। इसीलिए एनजीटी ने नोएडा एक्सटेंशन में अवैध रूप से चल रहे बोरवेल को सील करने और उसके अब तक के किए गए प्रयोग पर जुर्माने की राशि को वसूल करने का आदेश जारी किया है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण कार्यकर्ताआ, प्रसून पंत और प्रदीप डाहलिया की याचिका पर 15 नवंबर को एक आदेश जारी किया है, जो ऐतिहासिक माना जा रहा है। जारी आदेश के मुताबिक ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन में अवैध रूप से चल रहे सभी बोरवेलों को सील करने और भूजल के अवैध निष्कर्षण के लिए मुआवजे की वसूली का निर्देश दिया गया है। शिकायत कर्ताओं ने एनजीटी में बात रखी थी की 40 बिल्डरों की ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन में 63 साइटों पर अवैध रूप से भूजल निकाल रही हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एनजीटी ने भविष्य के लिए उपचारात्मक कार्रवाई के अलावा, बिल्डरों की परियोजना लागत का 0.5 प्रतिशत की राशि का अंतरिम पर्यावरणीय मुआवजा भी लगाया गया है। अवैध रूप से भूजल निकालने वाले सभी बिल्डरों को 15 नवंबर से शुरू होने वाले एक महीने के भीतर संबंधित जिलाधिकारियों और राज्य पीसीबी के पास मुआवजा जमा करना होगा, ऐसा न करने पर जिला मजिस्ट्रेट भूजल जमीन से निकालने वाली परियोजनाओं के खिलाफ चोरी के मामले दर्ज करने सहित कठोर कदम उठाने के लिए स्वतंत्र होंगे।
एनजीटी ने दिया एनओसी के लिए 1 महीने का समय
एनजीटी के आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर एक महीने के भीतर एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया जाता है तो राज्य पीसीबी द्वारा प्रतिष्ठानों को बंद किया जा सकता है। यदि दायर किया जाता है, तो ऐसे आवेदनों की अगले एक महीने के भीतर जांच की जा सकती है। इस मामले को लेकर जिलाधिकारी, राज्य पीसीबी और सीपीसीबी को लेकर एक संयुक्त समिति ने एनजीटी में 7 अक्टूबर, 2022 अब तक 33 ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के संबंध में अपनी रिपोर्ट दाखिल की थी। जिनमें से 25 अवैध रूप से पानी खींचते पाए गए थे। रिपोर्ट में बिना अनुमति के स्थापित किए गए बोरवेल को नष्ट करने, भूजल की अवैध निकासी के लिए मुआवजे के आरोपण की सिफारिश की गई है।
समिति को कब दी थी एनजीटी ने केस की जिम्मेदारी
ट्रिब्यूनल ने 5 जुलाई, 2022 को सीपीसीबी, राज्य पीसीबी और जिला मजिस्ट्रेट, नोएडा की एक संयुक्त समिति का गठन किया था, ताकि तथ्यों को सत्यापित किया जा सके और मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सके। यह निर्देश दिया गया था कि यदि समिति द्वारा कोई प्रतिकूल सामग्री पाई जाती है, तो प्रभावित पक्षों को इन कार्यवाहियों से अवगत कराया जा सकता है और रिपोर्ट की एक प्रति उक्त पक्षों को उनकी प्रतिक्रिया के लिए, यदि कोई हो, अगली तारीख से पहले प्रस्तुत की जाए।
क्या कहते है पर्यावरण कार्यकर्ता
प्रदीप डाहलिया ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि गौतमबुद्ध नगर में बिल्डर परियोजनाएं जबरदस्त तरीके से पानी का दोहन कर रही हैं। पहले पानी 20 से 25 मीटर नीचे भी मिल जाया करता था। अब 200 मीटर नीचे जाने पर पानी मिलता है। वह भी साफ नहीं और हर साल लगभग 5 मीटर पानी का लेवल और नीचे जाता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में आने वाले सालों में लोगों को पानी मिलना काफी मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही पर्यावरण को भी काफी नुकसान होगा और पेड़ पौधों को पानी और नमी नहीं मिल पाएगी जिसके चलते उनका जीवित रहना भी मुश्किल हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि निर्देश पारित किए गए हैं कि स्थानीय निकायों से पानी की आपूर्ति करने वाले और भूजल निकालने वाले प्रतिष्ठानों के लिए दोनों स्रोतों के संबंध में अलग-अलग डिजिटल मीटर होने चाहिए, जो वर्तमान में नहीं हो रहे हैं।
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