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NGT का दिल्ली जल बोर्ड को आदेश, 31 मई तक कोंडली सीवेज संयंत्र की बदबू को करना होगा नियंत्रित

Kunti Dhruw
2 March 2021 3:18 PM GMT
NGT का दिल्ली जल बोर्ड को आदेश, 31 मई तक कोंडली सीवेज संयंत्र की बदबू को करना होगा नियंत्रित
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को निर्देश दिया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को निर्देश दिया है कि वह 31 मई तक कोंडली सीवेज शोधन संयंत्र से आनेवाली बदबू को नियंत्रित करे और दुर्गंध नियंत्रण इकाई की स्थापना करे।एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जरूरी उपाय नहीं किए गए तो निर्धारित तारीख के बाद दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को तब तक हर महीने पांच लाख रुपये भरने होंगे जब तक कि आदेश का पालन नहीं हो जाता।

अधिकरण ने इसके साथ ही मामले को सुनवाई के लिए नौ जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया। एनजीटी ने यह निर्देश एक रेजीडेंट वेलफेयर सोसाइटी की याचिका पर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कोंडली सीवेज शोधन संयंत्र का परिचालन मानकों के अनुरूप नहीं हो रहा है और वहां से बदबू आ रही है।
इसके इतर एनजीटी ने केंद्र सरकार को नदियों में प्रदूषण की रोकथाम करने के लिए तत्काल एक सिस्टम बनाने का आदेश दिया है। एनजीटी ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को कहा है कि देश में सभी नदियों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए चल रही कवायद की प्रभावी निगरानी करने और सभी प्रदूषित नदी क्षेत्रों के पुनरुद्धार के लिए उचित सिस्टम बनाया जाए।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा कि जल प्रदूषण को रोकने और इसके लिए जवाबदेही तय करने की वैधानिक व्यवस्था कायम करने में लगातार नाकामी दिखाई दी है। पीठ ने कहा, देश में प्रदूषण नियंत्रण को उठाए गए कदमों और सभी प्रदूषित नदी क्षेत्रों के पुनरुद्धार की ज्यादा प्रभावी निगरानी के लिए जलशक्ति मंत्रालय को एक उचित तंत्र स्थापित करना चाहिए।
जस्टिस गोयल के अलावा जस्टिस एसके सिंह की भी मौजूदगी वाली पीठ ने कहा, यह तंत्र को राष्ट्रीय नदी पुनरुद्धार तंत्र (एनआरआरएम) या कोई अन्य उचित नाम दिया जा सकता है। एनआरआरएम प्रभावी निगरानी रणनीति के तौर पर उचित स्तरों पर राष्ट्रीय, राज्य, जिला पर्यावरण डाटा ग्रिड स्थापित करने को लेकर भी विचार कर सकता है।पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नई परियोजनाएं शुरू करने और मौजूदा परियोजनाओं को पूरा करने की समय सीमा को सख्ती से लागू करने के लिए समर्पित होकर काम करने का आदेश दिया।


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