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भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश की छूट गई सुबह की सैर, वजह भी पता चली

jantaserishta.com
9 Nov 2024 10:44 AM GMT
भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश की छूट गई सुबह की सैर, वजह भी पता चली
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फाइल फोटो
भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे.
नई दिल्ली: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ रविवार को रिटायर हो रहे हैं। शुक्रवार को उनका सुप्रीम कोर्ट में लास्ट वर्किंग डे था। अब अगले सीजेआई संजीव खन्ना बनेंगे। जस्टिस खन्ना ने सोमवार को 51वें सीजेआई की शपथ लेने से पहले अपनी मॉर्निंग वॉक रोक दी है। दरअसल, जस्टिस खन्ना रोजाना सुबह दिल्ली स्थित लोधी गार्डन और अपने आवास के आसपास सुबह मॉर्निंग वॉक करते थे, लेकिन पिछले दिनों अगले सीजेआई के रूप में हुई उनकी नियुक्ति के बाद से ही उन्हें सुझाव दिया गया कि वे अकेले मॉर्निंग वॉक पर जाने के बजाए प्रोटोकॉल के तहत मिलने वाली सिक्योरिटी के साथ जाएं। इसके बाद जस्टिस खन्ना ने फैसला किया कि वे मॉर्निंग वॉक पर नहीं जाएंगे।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस खन्ना ने राजधानी दिल्ली से ही पढ़ाई-लिखाई की है। उन्होंने अपनी स्कूलिंग मॉर्डन स्कूल से की और फिर सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रैजुएशन व दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ डिग्री ली। सूत्रों के अनुसार, जस्टिस खन्ना अब भी स्कूल, कॉलेज के दोस्तों से कनेक्टेड हैं और मुलाकात करते रहते हैं। उनके दास्तों का भी मानना है कि जस्टिस खन्ना स्कूल और कॉलेज के दिनों से अब तक बहुत ज्यादा चेंज नहीं हुए हैं। एक दोस्त ने कहा कि वह काफी सिंपल, शांत और कैमरे व पब्लिसिटी से दूर रहने वालों में हैं।
वहीं, भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने शुक्रवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सराहना की और कहा कि उन्होंने शीर्ष अदालत को बेहतर बनाने के मिशन पर काम किया और इसे सभी के लिये सुलभ समावेशिता का अभयारण्य बनाने के अपने लक्ष्य का पीछा किया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा जस्टिस चंद्रचूड़ के लिए आयोजित विदाई समारोह में जस्टिस खन्ना ने भावनात्मक भाषण में कहा कि उनके पद से हटने से सुप्रीम कोर्ट में एक 'खालीपन' आ जाएगा।
जस्टिस खन्ना ने कहा, ''जब न्याय के जंगल में एक विशाल पेड़ पीछे हटता है, तो पक्षी अपने गीत बंद कर देते हैं, और हवा अलग तरह से चलने लगती है। अन्य पेड़ खाली जगह को भरने के लिए अपनी जगह बदलते और समायोजित करते हैं। लेकिन जंगल फिर कभी वैसा नहीं रहेगा।'' उन्होंने कहा, ''सोमवार से हम इस बदलाव को गहराई से महसूस करेंगे, इस न्यायालय के बलुआ पत्थर के स्तंभों में एक खालीपन गूंजेगा, बार और बेंच के सदस्यों के दिलों में एक शांत प्रतिध्वनि होगी।''
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